31 लाख खर्च कर यूट्यूबर ने तोड़ा फ्लैट अर्थ का भ्रम, अंटार्कटिका की यात्रा ने खोला नया नज़रिया

Manisha singh
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31 लाख खर्च कर यूट्यूबर ने तोड़ा फ्लैट अर्थ का भ्रम, अंटार्कटिका की यात्रा ने खोला नया नज़रिया

धरती के आकार को लेकर आज भी कुछ लोग फ्लैट अर्थ थ्योरी पर अटूट विश्वास रखते हैं और इसे साबित करने के लिए कई अजीबो-गरीब तर्क देते हैं। ऐसा ही एक यूट्यूबर, जेरन कैंपनेला, जो इस सिद्धांत के कट्टर समर्थक थे, ने अपने दावे को सच साबित करने के लिए लाखों रुपये खर्च कर दिए। हालांकि, उनकी इस महंगी यात्रा ने न केवल उनके भ्रम को तोड़ा, बल्कि उन्हें धरती के गोल आकार का एक नया और वैज्ञानिक नज़रिया भी दिया।

31 लाख की यात्रा में हुआ चौंकाने वाला बदलाव

यूट्यूबर जेरन कैंपनेला, जो हमेशा से फ्लैट अर्थ थ्योरी के प्रबल समर्थक रहे थे, ने अपने इस दावे को पुख्ता करने के लिए 37,000 डॉलर (लगभग 31.4 लाख रुपये) खर्च कर अंटार्कटिका की यात्रा की। उनका मुख्य उद्देश्य यह सिद्ध करना था कि अंटार्कटिका एक विशाल ‘आइस वॉल’ है, जो पृथ्वी के चपटे होने का सबसे बड़ा प्रमाण है।

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‘मिडनाइट सन’ ने किया हैरान, टूटा सालों का विश्वास

‘मिडनाइट सन’ यानी वह अद्भुत खगोलीय घटना जब ध्रुवीय क्षेत्रों में सूरज 24 घंटे तक आकाश में दिखाई देता है, पृथ्वी के गोल आकार के सिद्धांत को सटीकता से प्रमाणित करता है। फ्लैट अर्थ थ्योरी के अनुसार, सूरज कभी भी स्थिर नहीं रहता और न ही 24 घंटे एक ही स्थान पर दिखाई दे सकता है।

कैंपनेला का मानना था कि अंटार्कटिका में सूरज न तो उगता है और न ही अस्त होता है, बल्कि एक ही जगह पर स्थिर रहता है। लेकिन, अंटार्कटिका में उनके प्रत्यक्ष अनुभव ने उनकी पूरी सोच को जड़ से हिला दिया। उन्होंने अपनी आंखों से ‘मिडनाइट सन’ का अद्भुत नज़ारा देखा, जहां सूरज लगातार 24 घंटे तक आकाश में चमकता रहा। यह घटना केवल पृथ्वी के गोलाकार होने पर ही संभव है और यह इस सिद्धांत के समर्थन में एक महत्वपूर्ण और अकाट्य प्रमाण है।

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सच्चाई कबूलते हुए कैंपनेला का स्पष्ट बयान

अपनी इस महंगी और भ्रम तोड़ने वाली यात्रा के बाद कैंपनेला ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘कभी-कभी जीवन में आप गलत होते हैं। मैं पहले सोचता था कि 24 घंटे सूरज नहीं होता, लेकिन अब मुझे पूरा यकीन है कि ऐसा होता है।’ उनकी इस यात्रा ने फ्लैट अर्थ थ्योरी के आज़िमुथल इक्विडिस्टेंट (AE) नक्शे को भी पूरी तरह से गलत साबित कर दिया, जिस पर फ्लैट अर्थ के समर्थक अक्सर भरोसा करते हैं। कैंपनेला ने आगे कहा, ‘अब यह नक्शा मेरे लिए किसी काम का नहीं है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैं बाकी सभी चीजों में भी सही हूं।’

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अंटार्कटिका में नागरिकों की यात्रा को लेकर बड़ा खुलासा

कैंपनेला की इस यात्रा ने फ्लैट अर्थ समर्थकों के उस दावे को भी गलत साबित कर दिया, जिसमें वे 1959 की अंटार्कटिका संधि का हवाला देते हुए कहते थे कि इस महाद्वीप पर नागरिकों का जाना प्रतिबंधित है और यह पृथ्वी के वास्तविक आकार को छिपाने की एक साजिश है। हालांकि, सच्चाई यह है कि इस संधि के तहत पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान की अनुमति है, और ‘द फाइनल एक्सपेरिमेंट’ नामक इस पहल के प्रतिभागियों ने यह साबित कर दिया कि कोई भी आम नागरिक उचित व्यवस्था के साथ अंटार्कटिका तक पहुंच सकता है।

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Manisha Singh is a freelancer, content writer,Yoga Practitioner, part time working with AgraBharat.
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