Dhanteras 2022 Date: इस बार धनतेरस दो दिन, 178 साल बाद बना गुरु और शनि का अद्भुत संयोग

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त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 23 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी। भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ था, इसलिए धन्वंतरि पूजन 23 को होगा।

Dhanteras 2022 Date: धनतेरस से दिवाली पर्व की शुरुआत हो जाती है। दीपावली 5 दिनों तक चलने वाला दीपोत्सव का महापर्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है। इस बार दिवाली महापर्व 5 दिन के बजाय 6 दिन मनाई जाएगी और दो दिनों तक धनतेरस पर शुभ खरीदारी का संयोग बन रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार दिवाली के पहले दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कार्तिक त्रयोदशी तिथि पर देवताओं के वैद्य भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान स्वर्ण कलश के साथ प्रगट हुए थे। धनतेरस पर सोने-चांदी के सिक्के, आभूषण और बर्तन खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजें में वर्ष भर 13 गुने की वृद्धि होती है।

धनतेरस दो दिन 22 और 23 अक्तूबर को
इस बार त्रयोदशी तिथि दो दिन होने के कारण धनतेरस को लेकर ज्योतिष और पंडितों के बीच मतभेद है। त्रयोदशी तिथि 22 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 02 मिनट पर प्रारंभ हो रही हैं और अगले दिन यानी 23 अक्तूबर की शाम 06 बजकर 03 मिनट पर खत्म हो जाएगी। भगवान धन्वंतरि का जन्म मध्यान्ह में हुआ था, इसलिए धन्वंतरि पूजन और धनतेरस की शुभ खरीदारी 22 और 23 अक्तूबर दोनों दिन की जा सकेगी।

दिवाली लक्ष्मी पूजा 23 अक्तूबर शाम 6 बजे के बाद
इस बार कार्तिक चतुर्दशी 23 अक्टूबर की शाम 5.20 से शुरू होकर 24 अक्टूबर को शाम 6 बजे तक है। इसके बाद अमावस्या शुरू होगी। यानी दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन शाम 6 बजे के बाद ही हो सकेगा। शास्त्रों में दिवाली लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में करने का विधान है। दिवाली पर शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश के साथ भगवान कुबेर की पूजा-उपासना करने पर जीवन में सभी तरह सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

सूर्यग्रहण के कारण गोवर्धन पूजा 25 अक्तूबर को
इस बार दिवाली के फौरन बाद यानी 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण है। सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस कारण से गोवर्धन पूजा 26 अक्तूबर को मनाया जाएगा।

भाईदूज 27 अक्तूबर को
27 अक्टूबर को भाईदूज मनाई जाएगी। भाई दूज पर बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक करती हैं। मान्यता है भाई दूज पर यमराज अपनी बहन यमुना के घर पर आकर भोजन किया था और बहन ने तिलक करके आशीर्वाद प्राप्त किया था। इस तरह दीपावली के पंच पर्व धनतेरस, रूप चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजा और भाई दूज 6 दिन में पूरे होंगे।

धनतेरस पर 178 साल गुरु और शनि का अद्भुत संयोग
इस बार धनतेरस पर ग्रहों की ऐसी स्थिति बन हुई है जो आज से लगभग 178 साल बाद धनतेरस बनी थी। धनतेसर पर धन के कारक गुरु और न्याय व स्थायित्य के कारक शनि स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। गुरु अपनी स्वयं की राशि मीन में और शनि मकर राशि में मौजूद रहेंगे। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। पंचाग के अनुसार अनुसार त्रिपुष्कर योग में शुभ कार्य करने पर उसमें तीन गुने की सफलता हासिल होती है जबकि सर्वार्थ सिद्धि योग को शुभ माना गया है क्योंकि इसमें सभी सिद्धियों का वास होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग पर राहुकाल का भी असर नहीं होता और खरीदारी करना शुभ फल देने वाला होता है।सर्वार्थ सिद्धि योग 23 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 32 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर 01 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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