यह कहानी किसी अख़बार की सुर्खियों या टीवी चैनलों की बहस से परे है। यह उस डर, अनिश्चितता और फिर उम्मीद की कहानी है जिसे जम्मू-कश्मीर के एक बच्चे ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान महसूस किया। ज़ियाना उपाध्याय, छठी कक्षा की छात्रा, ने अपनी कलम से उस अनुभव को बयाँ किया है, जब युद्ध की आहट ने उनके बचपन को भी छू लिया था।
भूख, डर और दिल की धड़कनें
ज़ियाना बताती हैं कि कैसे भूख से पेट फूल रहा था, फिर भी उन्हें खाने के लिए कहा गया। हर आवाज़ पर दिल की धड़कनें तेज़ हो जाती थीं। ध्यान भटकाने के लिए फ़िल्म देखी और किसी तरह सो गईं। यह किसी भी बच्चे के लिए एक भयानक अनुभव होता, जब सुरक्षा और शांति का माहौल अचानक युद्ध के बादल से घिर जाता है।
शांति की खबर और ‘सातवें आसमान’ पर खुशी
अगले दिन दोपहर में, एक खबर ने ज़ियाना को ‘सातवें आसमान’ पर पहुँचा दिया – पाकिस्तान और भारत पूर्ण और तत्काल युद्ध विराम के लिए सहमत हो गए थे! यह खबर उनके लिए कितनी बड़ी राहत थी, इसका अंदाज़ा उनकी खुशी से लगाया जा सकता है। ब्लैकआउट नहीं था, लेकिन रात में फिर भी एक उत्साह था।
निरंतर चिंता और भारतीय सैनिकों पर गर्व
लेकिन यह शांति क्षणिक थी। ज़ियाना लिखती हैं कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था, “पाकिस्तान क्यों नहीं रुकेगा? क्या यह स्पष्ट नहीं था कि पूर्ण और तत्काल?” इस दौरान, उन्होंने भारतीय रक्षा बलों पर गहरा गर्व महसूस किया, जो दिन-रात उनकी सुरक्षा में लगे थे। रात 11 बजे के बाद गोलीबारी बंद हो गई, जो एक सकारात्मक संकेत था। भारतीय हवाई क्षेत्र वाणिज्यिक उड़ानों के लिए खुल गया, जिससे मुंबई जैसे शहरों तक पहुँच फिर से संभव हुई।
प्रधानमंत्री मोदी का सख्त संदेश और अनिश्चितता
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि अगर पाकिस्तान ने फिर हमला किया तो भारत उसे नहीं छोड़ेगा। ज़ियाना इस बात से खुश भी थीं और चिंतित भी, यह सोचकर कि क्या यह वाकई ‘अंत’ नहीं है। उनके शरीर में भय और उदासी की लहर दौड़ गई, जो दिखाती है कि तनाव का बच्चों के मन पर कितना गहरा असर पड़ता है।
यादगार घटना और सीख
यह पूरी घटना और उससे जुड़ा डर ज़ियाना के दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो गया है। आज जब वह इसके बारे में सोचती हैं, तो उन्हें अपनी प्रतिक्रिया पर कभी हंसी आती है, कभी आंसू आते हैं, ठंड लगती है और गले में गांठ पड़ जाती है। यह केवल ज़ियाना ही नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक ने महसूस किया था। इस घटना ने उन्हें बहादुर बनना और चाहे कितनी भी बड़ी परिस्थिति क्यों न हो, अपने बहादुर भारतीय सैनिकों की तरह दृढ़ रहना सिखाया है।
यह ज़ियाना उपाध्याय जैसी बच्चों की कहानियाँ हैं जो हमें याद दिलाती हैं कि संघर्ष का मानवीय पहलू कितना गहरा होता है और शांति का महत्व क्या है।