नई दिल्ली: अगर आपका बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) में सेविंग अकाउंट है या आप इसमें खाता खोलने का सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत काम की है। अक्सर लोग खाते में पैसे जमा करके भूल जाते हैं या ज़रूरी मिनिमम बैलेंस मेंटेन नहीं करते, जिससे हर महीने जुर्माना कट जाता है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं या इससे बचना चाहते हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद ज़रूरी है।
मिनिमम बैलेंस क्या है और क्यों ज़रूरी है?
हर बैंक अपने सेविंग अकाउंट होल्डर्स से एक तय न्यूनतम बैलेंस बनाए रखने की उम्मीद करता है। इस रकम को मेंटेन न करने पर बैंक नॉन-मेंटेनेंस चार्जेस (NMC) के नाम पर जुर्माना वसूलता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के भी हर सेविंग अकाउंट में अलग-अलग मिनिमम बैलेंस की शर्तें होती हैं, जो आपके अकाउंट टाइप और ब्रांच की लोकेशन (जैसे ग्रामीण, अर्ध-शहरी, शहरी या मेट्रो) पर निर्भर करती हैं।
जानिए किस अकाउंट में कितना मिनिमम बैलेंस है ज़रूरी:
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जनरल सेविंग अकाउंट (General Saving Account):
- ग्रामीण क्षेत्र: ₹500
- अर्ध-शहरी क्षेत्र: ₹1000
- शहरी क्षेत्र: ₹2000
- मेट्रो क्षेत्र: ₹2000
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सुपर सेविंग अकाउंट (Super Saving Account): इसमें मिनिमम बैलेंस ₹10,000 तक होता है। यह उन लोगों के लिए होता है जो ज़्यादा बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं।
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B3 डिजिटल सेविंग अकाउंट (Zero Balance Account): इसमें कोई मिनिमम बैलेंस की शर्त नहीं होती, लेकिन कुछ सीमित सुविधाएं रहती हैं। यह अकाउंट मोबाइल ऐप या वेबसाइट से आसानी से खोला जा सकता है।
अगर बैलेंस कम हुआ तो क्या होगा?
अगर आपके अकाउंट में मिनिमम बैलेंस से कम राशि है, तो बैंक हर महीने के हिसाब से आपसे चार्ज वसूलता है। यह चार्ज आपकी लोकेशन के अनुसार तय होता है:
उदाहरण के लिए, यदि आप शहरी क्षेत्र में रहते हैं और आपके खाते में ₹2000 से कम बैलेंस है, तो आपको ₹100 + GST हर महीने देना होगा। यह चार्ज धीरे-धीरे साल भर में ₹1200 से ज़्यादा हो सकता है, जो आपकी बचत पर भारी पड़ सकता है।
Inactive और Dormant अकाउंट क्या होता है?
अगर आपके खाते में लंबे समय तक कोई ट्रांजैक्शन नहीं होता और बैलेंस भी कम या नहीं है, तो बैंक उसे Inactive (निष्क्रिय) या Dormant (निष्क्रिय) घोषित कर देता है। ऐसे में कई बैंकिंग सुविधाएं बंद हो जाती हैं और अकाउंट को दोबारा एक्टिव कराने के लिए बैंक ब्रांच जाकर प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है।
बैंक ये चार्ज क्यों वसूलता है? दरअसल, बैंक को आपके खाते को मेंटेन करने, ट्रांजैक्शन प्रोसेस करने, SMS भेजने और बैंकिंग सिस्टम को चलाने में खर्च आता है। मिनिमम बैलेंस से बैंक को एक बेसिक फंड मिलता है, जिससे ये सब सुविधाएं दी जाती हैं।
जुर्माने से कैसे बचें? 4 आसान टिप्स:
अगर आप भी बार-बार जुर्माना कटने से परेशान हैं, तो इन उपायों को अपनाकर इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं:
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जीरो बैलेंस अकाउंट खोलें: अगर आपको लगता है कि आप मिनिमम बैलेंस नहीं रख पाएंगे, तो PM जन धन योजना या BoB का B3 डिजिटल अकाउंट खोल लें। इनमें कोई न्यूनतम राशि की शर्त नहीं होती।
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ऑटो-ट्रांसफर सेट करें: नेट बैंकिंग या मोबाइल ऐप से एक बार ऑटो-ट्रांसफर सेट कर दें ताकि एक निश्चित राशि हमेशा खाते में बनी रहे।
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बैलेंस अलर्ट चालू रखें: SMS और मोबाइल ऐप नोटिफिकेशन ऑन रखें ताकि जैसे ही बैलेंस कम हो, आपको तुरंत पता चल जाए।
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सीमित ट्रांजैक्शन करें: अगर ज़रूरत न हो तो फ़ालतू के ट्रांजैक्शन से बचें, जिससे आपका बैलेंस नीचे न जाए।
क्या ये नियम कभी बदलते हैं?
बिल्कुल! बैंक और RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) समय-समय पर अपने नियमों में बदलाव करते रहते हैं। इसलिए, यह ज़रूरी है कि आप बैंक की वेबसाइट पर समय-समय पर विज़िट करते रहें या फिर ब्रांच में जाकर अपडेट लेते रहें।
बैंक ऑफ बड़ौदा में सेविंग अकाउंट की सुविधाएं:
- ATM/Debit Card की सुविधा
- नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग
- सीमित फ्री चेक बुक
- UPI और QR कोड पेमेंट
- SMS अलर्ट सेवा
- नॉमिनेशन सुविधा
इन सभी सुविधाओं का पूरा फायदा आपको तभी मिलेगा जब आप खाते को सक्रिय बनाए रखेंगे और मिनिमम बैलेंस मेंटेन करेंगे। बैंक ऑफ बड़ौदा में सेविंग अकाउंट खोलना आसान है, लेकिन उसे ठीक से मेंटेन करना ज़रूरी है। मिनिमम बैलेंस की शर्त अगर आप नहीं निभाते हैं, तो जुर्माना भुगतना पड़ेगा और यह धीरे-धीरे आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग को बिगाड़ सकता है। बेहतर है कि आप या तो ऐसा अकाउंट चुनें जिसमें मिनिमम बैलेंस की ज़रूरत न हो, या फिर कुछ अच्छी आदतें डाल लें – जैसे बैलेंस अलर्ट चेक करना, सीमित खर्च करना और समय पर पैसे डालना।
क्या आप अपने बैंक खाते का मिनिमम बैलेंस हमेशा मेंटेन रखते हैं?