जमीन रजिस्ट्री के नियमों में 4 बड़े बदलाव! प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने से पहले जान लें ये नए नियम

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
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जमीन रजिस्ट्री के नियमों में 4 बड़े बदलाव! प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने से पहले जान लें ये नए नियम

नई दिल्ली: भारत में भूमि पंजीकरण (Land Registry) की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। अब संपत्ति खरीदने और बेचने से जुड़े नियमों को पूरी तरह से डिजिटल और पारदर्शी बना दिया गया है। इन नए नियमों का उद्देश्य भ्रष्टाचार को खत्म करना, धोखाधड़ी रोकना और आम जनता के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना है। आइए जानते हैं क्या हैं ये 4 बड़े बदलाव और उनसे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

1. भूमि पंजीकरण में डिजिटल क्रांति: अब घर बैठे होगी रजिस्ट्री

नई व्यवस्था के तहत, संपत्ति पंजीकरण पूरी तरह से डिजिटल हो गया है। अब आपको रजिस्ट्रार कार्यालयों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप अपनी राज्य सरकार के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर लॉग इन करके सभी आवश्यक दस्तावेज़ (जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, विक्रय विलेख और नक्शा) अपलोड कर सकते हैं। दस्तावेज़ों की जांच पूरी होने के बाद, आपको तुरंत डिजिटल हस्ताक्षर और प्रमाणपत्र प्राप्त हो जाएगा।

यह प्रणाली न केवल तेज है, बल्कि इसमें मानवीय त्रुटियों और नकली दस्तावेज़ों की संभावना भी कम हो गई है। डिजिटल पंजीकरण से मध्यस्थों की आवश्यकता समाप्त हो गई है, जिससे सीधे आम जनता को फायदा मिल रहा है। यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी है और इससे भ्रष्टाचार की संभावनाएं काफी कम हो गई हैं।

2. आधार-आधारित पहचान सत्यापन की अनिवार्यता

नए नियमों के अनुसार, अब प्रत्येक संपत्ति पंजीकरण में आधार कार्ड का संयोजन अनिवार्य कर दिया गया है। इस व्यवस्था से क्रेता (खरीदने वाला) और विक्रेता (बेचने वाला) दोनों की पहचान बायोमेट्रिक तकनीक से सुनिश्चित की जाती है, जिससे फर्जी पहचान वाले लेन-देन पर लगाम लगेगी।

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इसके अतिरिक्त, बेनामी संपत्तियों (Benami Properties) की पहचान करना भी अब सरल हो गया है। यदि किसी व्यक्ति का आधार कार्ड लिंक नहीं है, तो उसकी पंजीकरण प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकती। यह व्यवस्था संपत्ति संबंधी धोखाधड़ी के मामलों में महत्वपूर्ण कमी लाएगी और आपकी प्रॉपर्टी को सुरक्षित बनाएगी।

3. पंजीकरण प्रक्रिया की वीडियो प्रलेखन (Video Documentation)

वर्ष 2025 से, प्रत्येक संपत्ति पंजीकरण की वीडियो प्रलेखन अनिवार्य कर दी गई है। इस नियम के तहत, संपूर्ण पंजीकरण प्रक्रिया का वीडियो बनाया जाता है, जिसमें क्रेता और विक्रेता दोनों की उपस्थिति आवश्यक है। इसका मुख्य लक्ष्य यह है कि किसी भी भविष्य के विवाद की स्थिति में यह वीडियो एक ठोस प्रमाण के रूप में कार्य कर सके।

यह नियम प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता लाता है और लोगों को मजबूत कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। भविष्य में यदि कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो यह रिकॉर्डिंग न्यायालय में प्रस्तुत की जा सकती है, जिससे न्याय पाना आसान होगा।

4. डिजिटल भुगतान प्रणाली: अब ऑनलाइन भरें शुल्क

भूमि पंजीकरण हेतु आवश्यक शुल्क और स्टांप शुल्क का भुगतान अब पूरी तरह से ऑनलाइन किया जा सकता है। इसके लिए आप क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई (UPI) का उपयोग कर सकते हैं। यह व्यवस्था नकद लेन-देन की आवश्यकता को समाप्त करती है, जिससे भ्रष्टाचार की संभावना काफी कम हो जाती है।

ऑनलाइन भुगतान के तुरंत बाद आपको डिजिटल रसीद प्राप्त हो जाती है, जो आगे की प्रक्रिया के लिए आवश्यक होती है। यह पूरी प्रणाली न केवल सुरक्षित है, बल्कि समय की भी महत्वपूर्ण बचत करती है।

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संपत्ति पंजीकरण में अन्य महत्वपूर्ण अपडेट

इन चार बड़े बदलावों के अलावा, कुछ और महत्वपूर्ण अपडेट्स भी लागू किए गए हैं:

  • विशिष्ट पहचान संख्या: नए नियमों के तहत प्रत्येक संपत्ति को एक विशिष्ट संपत्ति पहचान संख्या (Unique Property ID) प्रदान की जाएगी, जिससे उसकी निगरानी सरल हो जाएगी।
  • इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग: अब इलेक्ट्रॉनिक स्टांपिंग का उपयोग किया जाएगा, जिससे नकली स्टांप पेपर की समस्या समाप्त हो जाएगी।
  • डिजिटल अभिलेख: सभी संपत्ति अभिलेख अब डिजिटल प्रारूप में सरकारी पोर्टल पर संग्रहीत किए जाएंगे, जिन्हें आप कभी भी एक्सेस कर सकते हैं।
  • महिला अधिकार: महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार दिया गया है और विवाहित महिलाओं को पति की संपत्ति पर भी अधिकार प्राप्त होगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों के लिए विशेष लाभ: कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में पंजीकरण शुल्क मात्र ₹50 से शुरू किया गया है, जिससे निम्न आय वर्ग के परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।

चरणबद्ध पंजीकरण प्रक्रिया और सावधानियां

नई व्यवस्था में पंजीकरण की प्रक्रिया अत्यंत सरल है:

  1. पोर्टल पर लॉगिन: सर्वप्रथम राज्य सरकार के ऑनलाइन पोर्टल पर लॉगिन करें।
  2. दस्तावेज़ अपलोड: आधार कार्ड, पैन कार्ड, विक्रय विलेख और नक्शा जैसे आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें।
  3. शुल्क भुगतान: ऑनलाइन शुल्क का भुगतान करें।
  4. आधार सत्यापन: आधार कार्ड का सत्यापन OTP या बायोमेट्रिक के माध्यम से किया जाता है।
  5. वीडियो रिकॉर्डिंग: पंजीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाती है।
  6. डिजिटल प्रमाणपत्र: अंत में, आपको डिजिटल प्रमाणपत्र प्राप्त होगा।

सावधानियां:

  • पंजीकरण करते समय केवल सरकारी पोर्टल का ही उपयोग करें।
  • दस्तावेज़ अपलोड करते समय सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी सटीक हो।
  • आधार कार्ड लिंकिंग अनिवार्य है, इसलिए पहले से ही लिंकिंग करवा लें।
  • वीडियो रिकॉर्डिंग के समय क्रेता और विक्रेता दोनों की उपस्थिति आवश्यक है।
  • ऑनलाइन भुगतान के बाद रसीद को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करें।
  • यदि कोई एजेंट या मध्यस्थ अधिक धन की मांग करता है तो सतर्क रहें और शिकायत दर्ज करें।
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आगे का रास्ता: एक पारदर्शी और सुरक्षित भविष्य

यह नई व्यवस्था भारत में संपत्ति पंजीकरण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हो रही है। डिजिटलीकरण से न केवल समय और धन की बचत हो रही है, बल्कि पारदर्शिता भी बढ़ी है। इससे भूमि विवादों में कमी आएगी और न्यायपालिका पर भी दबाव कम होगा।

आने वाले समय में यह व्यवस्था और भी परिष्कृत होगी और तकनीकी सुधारों के साथ इसकी पहुंच ग्रामीण क्षेत्रों तक भी बढ़ेगी। इससे भारत में संपत्ति के अधिकारों की सुरक्षा मजबूत होगी और निवेश का माहौल भी बेहतर बनेगा। यह भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में एक सकारात्मक कदम है, जो आम जनता के लिए वरदान साबित होगा।

(अस्वीकरण: यह जानकारी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से प्राप्त की गई है। कृपया कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने बैंक या RBI की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी की पुष्टि अवश्य करें। संपत्ति पंजीकरण से संबंधित नवीनतम और आधिकारिक जानकारी के लिए संबंधित राज्य सरकार की वेबसाइट या कार्यालयों से संपर्क करें।)

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