अनजान शहर में प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं? ब्रोकर पर आंख बंद कर भरोसा न करें! इस गाइड में जानें 5 ज़रूरी टिप्स: बजट तय करने, ब्रोकर की परख, भविष्य की संभावनाएं जानने, और ब्रोकरेज निर्धारण से जुड़ी अहम बातें। अब आप बनेंगे ‘मास्टर डीलर’ और बचाएंगे अपना पैसा और सिरदर्द।
1. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले अपना बजट तय करें
सबसे पहले यह तय करें कि आपका बजट कितना है। अपनी कमाई के हिसाब से घर खरीदने का बजट बनाएं, ताकि आपका वित्तीय संतुलन न बिगड़े। कोशिश करें कि डाउन पेमेंट में ज़्यादा से ज़्यादा अमाउंट दें, जिससे ईएमआई का बोझ कम होगा और भविष्य में किसी भी आर्थिक झटके से निपटने में आसानी होगी।
जिस प्रॉपर्टी को खरीदने का विचार कर रहे हैं, उसे खुद जाकर अच्छी तरह जांचें और आसपास के इलाके का भी दौरा करें। इसके बाद ही किसी रियल एस्टेट एजेंट की मदद लें।
2. ब्रोकर के अनुभव और इलाके की समझ परखें
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा के अनुसार, एक अच्छे रियल एस्टेट ब्रोकर को अपने इलाके की गहरी समझ होनी चाहिए। जैसे:
- उस क्षेत्र में निर्माण कब शुरू हुआ?
- किस सरकारी एजेंसी ने विकास का काम किया?
- वहां कौन से प्रोजेक्ट विकसित हुए हैं?
- क्या किसी निजी बिल्डर की भागीदारी रही या सरकारी एजेंसी ने ही मकानों या अपार्टमेंट का निर्माण किया?
- उस क्षेत्र में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिति कैसी है – सीवर, सड़कें, परिवहन के साधन, शैक्षणिक सुविधाएं और रोज़मर्रा की खरीदारी संबंधी विकल्प आदि।
एजेंट को अपने क्षेत्र के बारे में कितनी समझ है, इस बात की तसल्ली करने के बाद ही किसी तरह की डील करें।
3. प्रॉपर्टी के भविष्य की संभावनाएं जानें
जिस इलाके में आप प्रॉपर्टी देख रहे हैं, वहां की भविष्य की संभावनाएं कैसी हैं, इस बारे में अपने ब्रोकर से ज़रूर बात करें। उससे यह जानकारी लें कि वहां मॉल, परिवहन (जैसे मेट्रो या नए हाईवे), फ्रेट कॉरिडोर जैसी परियोजनाएं आने वाली हैं या नहीं।
साथ ही, उससे यह भी पूछें कि कहीं उस क्षेत्र में ऐसी परियोजनाएं तो प्रस्तावित नहीं हैं, जिनसे आपका जीवन दूभर हो जाए। ऐसे प्रोजेक्ट में सीवेज वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट या डंपिंग यार्ड वगैरह शामिल हो सकते हैं। प्रॉपर्टी एजेंट्स के पास अक्सर संभावित और प्रस्तावित परियोजनाओं की पूरी जानकारी रहती है।
4. किसी एक ब्रोकर पर आँख बंद कर भरोसा न करें
यह सबसे महत्वपूर्ण बात है। किसी एक ब्रोकर पर ही आँख बंद कर भरोसा न करें। इसके बजाय, कम से कम चार से पांच एजेंटों से मुलाकात करें। उनकी बातों को गंभीरता से सुनें, उनसे उनके पूर्व के अनुभवों और उस क्षेत्र में किए गए काम के बारे में जानें। आप उनके पुराने ग्राहकों से फीडबैक भी ले सकते हैं।
उनसे उस क्षेत्र विशेष की विशेषताओं और कमियों पर बात करें। इन सब बातों का विश्लेषण करते हुए ही ब्रोकर का चुनाव करें। एजेंट्स अक्सर लुभावनी बातें कहते हैं, लेकिन वास्तविकता उसके ठीक उलट हो सकती है। ऐसे में, ब्रोकर के पूर्ववर्ती ग्राहकों की प्रतिक्रिया आपके लिए सबसे सटीक होगी।
सबसे महत्वपूर्ण: किसी वकील से भी प्रॉपर्टी के पेपर्स की जांच ज़रूर कराएं।
5. ब्रोकरेज का निर्धारण पहले ही कर लें
एक बार ब्रोकर का चयन करने के बाद, आप उससे ब्रोकरेज या उसके कमीशन पर भी ज़रूर चर्चा कर लें। आम तौर पर, संपत्ति की बिक्री या किराए पर कोई भी डील करवाने पर एजेंट्स दो प्रतिशत का कमीशन मांगते हैं। हालांकि, अनुभवी ब्रोकर इस काम को अंजाम देने के लिए एक प्रतिशत की हिस्सेदारी पर भी तैयार हो जाते हैं। आप चाहें तो उसे एक प्रतिशत राशि पर ही काम करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
इस संबंध में सहमति बनाने के लिए बेहतर यही होगा कि कोई भी सौदा करने से पहले ही आप उससे उसकी ब्रोकरेज के बारे में अंतिम निर्णय कर लें। यह पारदर्शिता भविष्य में किसी भी विवाद से बचाएगी।