ओस्लो, नॉर्वे: इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के भविष्य को नई दिशा देते हुए नॉर्वे ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है, जिसे देखकर दुनिया दंग रह गई है। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में दुनिया की पहली वायरलेस ईवी चार्जिंग रोड बनाई गई है, जो चलती-फिरती टैक्सियों को बिना किसी चार्जिंग स्टेशन पर रुके चार्ज कर सकती है। यह तकनीक सड़कों पर चार्जिंग के लिए लगने वाली लंबी लाइनों और रुकने के झंझट को हमेशा के लिए खत्म कर सकती है।
कैसे काम करती है यह क्रांतिकारी तकनीक?
यह अत्याधुनिक तकनीक सड़क के नीचे छुपे इन्डक्टिव कॉइल्स (प्रेरक कुंडलियों) के ज़रिए काम करती है। जैसे ही कोई इलेक्ट्रिक टैक्सी या संगत ईवी इस सड़क पर चलती है, तो सड़क के नीचे लगे कॉइल से निकलने वाले चुंबकीय क्षेत्र के माध्यम से गाड़ी की बैटरी अपने आप चार्ज होने लगती है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के, यानी ड्राइवर की किसी भी मेहनत के बिना संपन्न होती है।
चार्जिंग स्टेशन की जरूरत खत्म, सफर होगा और भी क्लीन
इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि अब इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग स्टेशनों पर रुकने या लंबा इंतजार करने की आवश्यकता नहीं होगी। बस गाड़ी चलाते रहो – बैटरी अपने आप चार्ज होती जाएगी। यह न केवल समय बचाएगा बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को और अधिक सुविधाजनक बना देगा।
यह तकनीक न सिर्फ पारंपरिक ईंधन की खपत को कम करेगी, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक कुशल बनाकर प्रदूषण को भी न्यूनतम करने में मदद करेगी। इसका अर्थ है – गाड़ियों के लिए अधिक पावरफुल और पर्यावरण के लिए सुरक्षित भविष्य।
भविष्य की झलक: नॉर्वे का कदम नई दिशा में
नॉर्वे का यह कदम स्पष्ट रूप से दिखा रहा है कि कैसे भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया पूरी तरह से बदल जाएगी। यह सिर्फ टैक्सियों के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण ईवी तकनीक के भविष्य के लिए एक नई क्रांति है। अब कोई रुकावट नहीं, कोई पावर बैंक की चिंता नहीं, बस स्वच्छ ऊर्जा से भरा निरंतर सफर।
सवाल यह नहीं है कि यह कैसे संभव हुआ – सवाल यह है: क्या यही भविष्य की तस्वीर है? दुनिया भर के देश अब इस नई इनोवेशन और नॉर्वे द्वारा दिखाई गई दिशा पर नजर रखे हुए हैं। अब देखना यह है कि बाकी देश इस अत्याधुनिक तकनीक को कब तक अपनाते हैं और सड़कों पर ही चार्जिंग का यह सपना कब तक वैश्विक हकीकत बन पाता है।
अति उत्तम भारत में भी प्रयास करना चाहिए।