लखनऊ: अगर आप अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में यह साफ कर दिया है कि पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति पर उसका अधिकार कब और कैसे तय होगा। इस फैसले के बाद उन पतियों को सतर्क रहने की जरूरत है जो सिर्फ टैक्स और स्टांप ड्यूटी में छूट पाने के लिए ऐसा करते हैं।
कोर्ट का क्या है फैसला?
हाईकोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी उसकी खुद की कमाई से नहीं ली गई है, तो उसे परिवार की संपत्ति माना जाएगा। इसका मतलब है कि ऐसी प्रॉपर्टी पर पति, बच्चे और अन्य उत्तराधिकारियों का भी अधिकार होगा। अगर पत्नी का आय का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है, तो कोर्ट यह मानती है कि प्रॉपर्टी पति की कमाई से खरीदी गई है।
- पत्नी का स्वतंत्र अधिकार कब? अगर पत्नी की अपनी आय का कोई ज्ञात और स्वतंत्र स्रोत है और प्रॉपर्टी उसकी कमाई से खरीदी गई है, तभी वह उसकी निजी और स्व-अर्जित संपत्ति मानी जाएगी। ऐसे में उस पर सिर्फ पत्नी का अधिकार होगा।
- बेचने, दान करने का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट के अनुसार, जिस संपत्ति को पति की कमाई से पत्नी के नाम खरीदा गया है, उसे पत्नी बेच, नीलाम या दान नहीं कर सकती। पति के निधन के बाद भी पत्नी ऐसा नहीं कर सकती जब तक कि वसीयत में कुछ और न कहा गया हो।
क्या था पूरा मामला?
यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसे सौरभ गुप्ता नाम के व्यक्ति ने दायर किया था। उन्होंने बताया था कि उनके पिता ने अपनी मां के नाम पर एक संपत्ति खरीदी थी और अब उनकी मां उसे किसी तीसरे पक्ष को बेच रही थीं। कोर्ट ने इस मामले में साफ किया कि महिला के पास आय का कोई स्रोत न होने के कारण उसे संपत्ति का सह-स्वामी होने का अधिकार तो मिल सकता है, लेकिन वह पूरी तरह से उसकी मालिक नहीं है।
पति के जिंदा रहते पत्नी के अधिकार
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, जब तक पति जिंदा है, पत्नी को उसकी संपत्ति पर सीधे तौर पर मालिकाना हक नहीं मिलता। पत्नी को संपत्ति पर अधिकार पति के निधन के बाद ही मिलता है और उस पर बच्चों के समान ही उसका भी अधिकार होता है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने के फायदे लेते रहें, लेकिन कानूनी रूप से उस संपत्ति को परिवार की ही माना जाए, जिससे भविष्य में किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके।