आगरा। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर, ‘लोक स्वर आगरा’ के राजीव गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। उनका कहना है कि आज के दौर में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति को रोकने के लिए हमें अपनी जीवनशैली और सोच में बदलाव लाना होगा। उनका मूल मंत्र है: “जो मिलेगा वही प्रावध है।”
क्यों बढ़ रही हैं आत्महत्याएं?
राजीव गुप्ता ने अपनी कलम से लिखा है कि आज जीवन की शुरुआत होने से पहले ही खत्म हो रही है। इसके पीछे कई कारण हैं:
* अकेलापन और डिजिटल दुनिया: सोशल और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का बढ़ता प्रचलन लोगों को अकेला बना रहा है, जिससे वे अपने रिश्तों और परिवार से दूर हो रहे हैं।
* वैश्विक प्रतिस्पर्धा का दबाव: वैश्विक प्रतिस्पर्धा का डर और दबाव लोगों के मन को विचलित कर रहा है, जिससे वे कोई भी पद, उम्र या शिक्षा की परवाह किए बिना एक पल में गलत कदम उठा लेते हैं।
* दिखावटी दुनिया का जाल: आज की चकाचौंध भरी दुनिया में जो जैसा दिखता है, वह 90% दिखावटी होता है। ये लोग अंदर से खोखले और अकेले होते हैं। सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स होने के बाद भी, मुश्किल वक्त में कोई साथ नहीं होता।
आत्महत्या को रोकने के लिए क्या करें?
राजीव गुप्ता ने आत्महत्या जैसी अप्राकृतिक मृत्यु को रोकने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं:
जो है वही पर्याप्त है’ की सोच अपनाएं।
दूसरों से तुलना करने की जगह अपने विचारों को खुलकर साझा करें।
बाहरी वैभव की जगह अंदर की अच्छाई पर ध्यान दें।
धर्मगुरुओं की जगह लोगों के सच्चे अनुभव सुनें।
अपने और परिवार के लिए समय जरूर निकालें, भले ही कुछ और छूट जाए।
युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया, एआई, और राजनीतिक गुमराह करने वाली ताकतों से बचाने के लिए समाज को चौकन्ना रहना होगा।
यथार्थ को अपनाएं और दिखावटी दुनिया को पहचानें।
राजीव गुप्ता का कहना है कि हमें छोटी बातों पर ध्यान देना होगा और मन की बात को दबाने से बचना होगा। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे, तो शायद समाज हमें आदर्श नहीं मान पाएगा। उनका मानना है कि जिंदगी में फॉलोअर्स मायने नहीं रखते, बल्कि अपने लोग मायने रखते हैं।