आज के लोग चिंता दहशत उदासी और बेबुनियाद डर के आलम से गुजर रहे हैं। लोग जिंदगी के दुखों का सामना नहीं कर पाते। यही कारण है कि मनोचिकित्सकों मनोविज्ञानिकों और हृदय-चिकित्सकों के कक्ष आज भरे हुए नजर आते हैं। हम आर्थिक रूप से घोर विपत्ति के आलम में हैं। हम टूटे हुए वैवाहिक रिश्तों और उजड़े हुए घरों को बसाने का यत्न कर रहे हैं। कुछ लोग उस उदासी के माहौल से चिंतित हैं जो उनके किसी प्यारे के चले जाने के डर से उत्पन्न हो सकता है।
ये हलचल और तनाव सिर्फ हमारे मन पर ही असर नहीं करते। हमारी दिमागी तौर पर अस्वस्थ हालत कई प्रकार की बीमारियों को जन्म देती है। अध्ययन ने साबित कर दिया है कि जब हम गुस्से में होते हैं या बहुत ज्यादा भावुक होते हैं तब हमारे शरीर में एक अजीब तरह की हरकत होती है जो हमें लड़ने या सब कुछ छोड़ कर भाग जाने के लिए विवश करती है। पर हम सामाजिक नियमों से डर से चुपचाप सब सह लेते हैं और अंदर ही अंदर घुलते रहते हैं।
इसका असर यह होता है कि हम शारीरिक रूप से प्रभावित होते हैं और कई प्रकार की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं पिछले कुछ वर्षों से भावनाओं के तूफान और तनाव को खत्म करने के लिए लोगों का रुझान ध्यान की ओर हुआ है।
ध्यान के शारीरिक और मानसिक बहुत से फायदे हैं। जब हम एक बार ध्यान लगाना सीख लेते हैं तब हम हमारे पास अंतर में हर समस्या का समाधान तैयार होता है। ध्यान दो प्रकार से हमारी मदद करता है। पहला यह हमें शारीरिक तौर पर शांत करता है।
दूसरा हम इसके जरिए उस अवस्था में पहुंच जाते हैं जहां हमें प्रभु के प्यार और परमानंद की प्राप्ति होती है। ध्यान के समय हमारी सांसारिक समस्याएं ज्यों की त्यों रहती हैं पर ध्यान के जरिए हम प्रभु की याद और उसके आनंद में इतने डूबे रहते हैं कि हमें अपनी समस्याओं और दुखों-दर्दों का आभास नहीं होता है।
सांसारिक तनाव और दबाव होने के बावजूद हमारे विचार सोचने की शक्ति और भावनाओं में संतुलन रहता है। हम अपने तनाव पर आसानी से काबू पा लेते हैं। इस प्रकार ध्यान के द्वारा हम जिंदगी जीने का वह तरीका सीख लेते हैं जिससे हम अपने सांसारिक तनावों पर काबू पा लेते हैं। इस विद्या के माध्यम से हम सुख शांति और चैन का रास्ता खोज लेते हैं।