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Shocking News: नाग नागिन तो वैसे ही बदनाम,17 साल तक बदले की भावना; इंसान से मिले नुकसान को याद रखते हैं ये पक्षी, शोध में खुलासा

Manasvi Chaudhary
4 Min Read
नाग नागिन क जोड़ा .

आगरा : क्या आप मानते हैं कि कोई जानवर किसी इंसान से मिली तकलीफ को लंबे समय तक याद रख सकता है? भारत में अक्सर यह बात नाग और नागिन से जुड़ी किवदंतियों में सुनी जाती है, लेकिन अब एक नई रिसर्च ने इस विचार को और भी दिलचस्प बना दिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कौवे, जो दुनिया के सबसे बुद्धिमान पक्षियों में माने जाते हैं, इंसान से मिली तकलीफ को 17 साल तक याद रख सकते हैं और बदले की भावना से काम कर सकते हैं।

कौवे में होती है अद्भुत याददाश्त की क्षमता

नए शोध में यह सामने आया है कि कौवे न केवल अपनी जानकारियों को लंबे समय तक याद रखते हैं, बल्कि वे किसी इंसान से मिले खतरे या नुकसान का बदला भी ले सकते हैं। इस शोध ने कौवों की याद रखने की अविश्वसनीय काबिलियत को उजागर किया है। शोध से यह भी पता चला कि कौवे एक-दूसरे के साथ खतरों और दुश्मनों की पहचान को साझा करते हैं, जो उनके सामाजिक और बुद्धिमानीपूर्ण व्यवहार का उदाहरण है।

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कैसे हुआ यह शोध

यह अध्ययन वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा किया गया था, जिसे 2006 में प्रोफेसर जॉन मार्जलूफ ने शुरू किया था। इस शोध में प्रोफेसर ने कुछ डरावने मुखौटे पहनकर 7 कौवों को पकड़कर उनके पैरों में पहचानने के लिए छल्ले डाले थे। इसके बाद, उन मुखौटों को पहनकर प्रोफेसर और उनके सहयोगी स्थानीय कौवों के बीच गए और उन्हें दाना दिया।

कौवों ने लिया बदला

जब प्रोफेसर और उनके सहयोगियों ने वही मुखौटे पहने और कैम्पस में घूमते हुए कौवों को खाना खिलाया, तो यह देखा गया कि 53 कौवों में से 47 ने उन्हें परेशान कर दिया था। इनमें वे सात कौवे भी थे जिन्हें पहले पकड़ा गया था। यह घटना साबित करती है कि कौवे उन इंसानों को पहचान सकते हैं जिन्होंने उन्हें नुकसान पहुँचाया था, और वे इस जानकारी को अपने साथियों तक भी पहुँचाते हैं।

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परेशानी की संख्या में बदलाव

शोध में यह भी देखा गया कि परेशान करने वाले कौवों की संख्या शुरुआत में ज्यादा थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, यह संख्या कम होने लगी। 2013 के बाद से, परेशान करने वाले कौवों की संख्या घटने लगी, और सितंबर 2023 तक कोई भी कौवा प्रोफेसर के “खतरनाक” मुखौटे पहनने पर उन्हें परेशान नहीं करता था।

“तटस्थ” मुखौटे का प्रयोग

इस शोध का एक और दिलचस्प पहलू यह था कि जब प्रोफेसर ने एक “तटस्थ” मुखौटा, जो अमेरिकी उपराष्ट्रपति डिक चेनी की तरह दिखता था, पहना, तो कौवों ने उन्हें बिना किसी परेशानी के खाना खिला दिया। यह स्पष्ट करता है कि कौवे न केवल खतरों को पहचानते हैं, बल्कि वे इस पहचान को सालों तक याद रखते हैं।

कौवे की बुद्धिमानी: एक और शोध

इस शोध से यह भी साफ हुआ कि कौवे केवल खतरों को पहचानने और उनसे बदला लेने तक सीमित नहीं हैं। पिछले शोधों में यह भी सामने आया है कि कौवे औजार बनाने की क्षमता रखते हैं और वे गिनने में भी माहिर होते हैं। इससे यह सिद्ध होता है कि कौवे अपनी असाधारण बुद्धिमत्ता से हमें हमेशा चौंकाते रहते हैं।

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यह शोध इस बात को साबित करता है कि कौवे सिर्फ पक्षी नहीं, बल्कि बेहद बुद्धिमान और संवेदनशील प्राणी हैं, जो इंसानों के साथ अपने अनुभवों को लंबे समय तक याद रखते हैं। यह उनकी सामाजिक और मानसिक काबिलियत का एक अद्भुत उदाहरण है, जो हमें जानवरों की दुनिया को एक नए दृष्टिकोण से देखने का मौका देता है।

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