भारत में आज भी परिवार और समाज के दबाव में अधिकतर शादियां होती हैं, लेकिन गुजरात के भाटपोर गांव की परंपरा कुछ अलग ही है। यहां के लगभग 90 प्रतिशत लोग प्रेम विवाह करते हैं और इस परंपरा को पिछले तीन दशकों से बड़े गर्व से निभाया जा रहा है। भाटपोर गांव, जो सूरत के पास स्थित है, आजकल पूरे राज्य में चर्चा का विषय बन चुका है।
यहां के लोग अपने जीवनसाथी को खुद चुनते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उनके परिवार का समर्थन भी प्राप्त हो। सबसे खास बात यह है कि इस गांव के बुजुर्ग भी प्रेम विवाह के इस परंपरा को पूरी तरह से स्वीकारते हैं। दादा-दादी भी लव मैरिज करने वाले होते हैं, और वे इसे सही मानते हैं। यह परंपरा तीन पीढ़ियों से चली आ रही है और गांव में इस परंपरा के बारे में गर्व से कहा जाता है, “हमारे गांव की परंपरा है कि लड़के-लड़कियां अपने गांव में ही प्रेम विवाह करते हैं।”
भाटपोर की अनोखी परंपरा
भाटपोर में प्रेम विवाह कोई नई बात नहीं है, बल्कि यह एक परंपरा बन चुकी है। यहां के लोग मानते हैं कि प्यार से किया गया रिश्ता अधिक मजबूत होता है। इस गांव में लड़के-लड़कियां अपनी पसंद के साथी को चुनते हैं और उनके परिवार इस फैसले का पूरा समर्थन करते हैं। यहां की शादियां अन्य गांवों से बिल्कुल अलग होती हैं क्योंकि परिवारों को इस तरह के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं होती।
बुजुर्गों का समर्थन और विश्वास
यहां के बुजुर्गों का मानना है कि यदि लड़का और लड़की एक-दूसरे को पसंद करते हैं, तो उनका रिश्ता मजबूत रहेगा और इसके लिए किसी पारंपरिक ढांचे की आवश्यकता नहीं है। वे अपने बच्चों और पोते-पोतियों के फैसलों में पूरी तरह से विश्वास रखते हैं और यह विश्वास उनकी प्रेम विवाहों को और भी मजबूत बनाता है। यही कारण है कि भाटपोर में तलाक की दर बहुत कम है।
परंपरा से परे नहीं, बल्कि गर्व से निभाई जाती है परंपरा
भारत में जहां ज्यादातर लोग अरेंज मैरिज को ही उचित मानते हैं, वहीं भाटपोर गांव का यह उदाहरण यह दर्शाता है कि परंपराओं में बदलाव आ सकता है और यह बदलाव लोगों के जीवन में खुशहाली और मजबूत रिश्ते बना सकता है। यहां के लोग अपने इस अनोखे परंपरा को गर्व से निभाते हुए इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचा रहे हैं।