नई दिल्ली। राज्यसभा में पिछले दिनों गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पेश की गई है। इसमें संसदीय पैनल ने सीआरपीएफ से संबंधित 5 वर्षों की रिपोर्ट मांगी थी। 2018 से 2022 के बीच में रिपोर्ट के अनुसार सीआरपीएफ के 654 जवानों ने खुदकुशी की है।
सीआरपीएफ में जवानों के नौकरी छोड़ने का सिलसिला भी बड़ी तेजी के साथ जारी है। पिछले 5 वर्षों में 50,000 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवानों ने नौकरी छोड़ दी है। असम राइफल्स के 123 कर्मियों ने 2021 में नौकरी छोड़ी। 2022 में यह संख्या बढ़कर 537 हो गई थी। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में नौकरी छोड़ने वाले जवानों की संख्या 2021 में 966 थी। जो 2022 में बढ़कर 1706 हो गई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो जानकारी संसदीय समिति को दी है। उसके अनुसार पिछले 5 वर्षों में केंद्रीय बलों के 50155 कर्मियों ने नौकरी छोड़ी है।
संसदीय कमेटी ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, इतनी अधिक संख्या में नौकरी छोड़ने वाले जवानों के कारण, केंद्रीय बलों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है। केंद्रीय बलों के जवान नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं और आत्महत्या क्यों कर रहे हैं। इस पर भी संसदीय समिति ने सवाल खड़ा किया है।