नई दिल्ली: पाकिस्तान के साथ जारी सीमा विवाद और चीन की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती दखलंदाजी के बीच, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (NSAB) में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। पूर्व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) प्रमुख अलोक जोशी को NSAB का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
NSAB का पुनर्गठन और नया स्वरूप
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड को अब सात सदस्यों के साथ पुनर्गठित किया गया है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। नए बोर्ड में तीन सैन्य पृष्ठभूमि के सेवानिवृत्त अधिकारी, दो भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के सेवानिवृत्त अधिकारी और एक भारतीय विदेश सेवा (IFS) के सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल हैं। यह संरचना रक्षा, खुफिया जानकारी और कूटनीति के क्षेत्रों में संतुलित दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगी।
अलोक जोशी की नियुक्ति का महत्व
अलोक जोशी को राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। उन्होंने 2012 से 2014 तक RAW के प्रमुख के रूप में कार्य किया और 2015 से 2018 तक राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के चेयरमैन रहे। जोशी ने पड़ोसी देशों, विशेष रूप से नेपाल और पाकिस्तान में खुफिया ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी नियुक्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है, जो NSAB को और अधिक प्रभावी बनाना चाहते हैं।
जोशी के नेतृत्व में, बोर्ड से अपेक्षा की जा रही है कि वह साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीतियों और क्षेत्रीय भू-राजनीतिक चुनौतियों पर विशेष ध्यान देगा। उनकी तकनीकी विशेषज्ञता, विशेष रूप से NTRO के दौरान साइबर खतरों से निपटने में, बोर्ड को आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में मदद करेगी।
बोर्ड के नए सदस्य
- अलोक जोशी (अध्यक्ष): पूर्व RAW प्रमुख और NTRO के चेयरमैन, जिन्हें खुफिया ऑपरेशनों का व्यापक अनुभव है।
- लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एके सिंह: पूर्व दक्षिणी सेना कमांडर, सैन्य रणनीति और संचालन में विशेषज्ञ।
- एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) पीएम सिन्हा: पूर्व पश्चिमी वायु कमांडर, वायुसेना के संचालन और रणनीति में विशेषज्ञ।
- रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) मॉन्टी खन्ना: नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, समुद्री सुरक्षा और रणनीति में विशेषज्ञ।
- राजीव रंजन वर्मा: IPS के सेवानिवृत्त अधिकारी, आंतरिक सुरक्षा और खुफिया मामलों में विशेषज्ञ।
- मनमोहन सिंह: IPS के सेवानिवृत्त अधिकारी, सुरक्षा और खुफिया क्षेत्र में योगदान के लिए जाने जाते हैं।
- बी वेंकटेश वर्मा: IFS के सेवानिवृत्त अधिकारी, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में विशेषज्ञ।
NSAB की भूमिका और महत्व
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह बोर्ड राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) को दीर्घकालिक विश्लेषण और सुझाव प्रदान करता है। NSAB का गठन पहली बार 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान किया गया था। तब से यह राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। बोर्ड महीने में कम से कम एक बार बैठक करता है और आवश्यकतानुसार नीतिगत मुद्दों पर सलाह देता है।
NSAB ने अतीत में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, जैसे 2001 में परमाणु सिद्धांत का मसौदा तैयार करना, 2002 में रणनीतिक रक्षा समीक्षा और 2007 में राष्ट्रीय सुरक्षा समीक्षा। नया बोर्ड क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन के साथ तनाव को देखते हुए, रणनीतिक नीतियों को और मजबूत करने पर ध्यान देगा।
बदलाव की पृष्ठभूमि
पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच, भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा संरचना को मजबूत करने पर ध्यान दे रहा है। NSAB का यह पुनर्गठन सरकार की उस रणनीति का हिस्सा है, जो रक्षा, खुफिया और कूटनीति के क्षेत्रों में समन्वय को बढ़ावा देना चाहती है। हाल ही में, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) में अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (ANSA) के पद को भी भरा गया है, जिससे NSA का कार्यभार कम हुआ है। वह प्रधानमंत्री कार्यालय को अधिक प्रभावी ढंग से सहायता प्रदान कर सकते हैं।
भविष्य की दिशा
नए NSAB से उम्मीद की जा रही है कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसे पिछले कई वर्षों से तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। यह रणनीति भारत की सैन्य और कूटनीतिक नीतियों को संरेखित करने में मदद करेगी, खासकर जब पड़ोसी देशों से खतरे बढ़ रहे हैं।
अलोक जोशी के नेतृत्व में, NSAB का फोकस न केवल पारंपरिक सुरक्षा खतरों पर होगा, बल्कि साइबर युद्ध, तकनीकी खुफिया जानकारी और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे उभरते क्षेत्रों पर भी होगा। बोर्ड में सैन्य, पुलिस और विदेश सेवा के विशेषज्ञों का मिश्रण इसे एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा, जो भारत को वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने में मदद करेगा।