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यमुना की पुकार: आगरा की आत्मा पर सरकारी बेपरवाही का साया

Dharmender Singh Malik
7 Min Read
यमुना की पुकार: आगरा की आत्मा पर सरकारी बेपरवाही का साया

बृज खंडेलवाल 

आगरा का ताजमहल दुनिया की नजरों में बेमिसाल है, लेकिन इस शहर की रूह, यमुना नदी, सरकारी लापरवाही और खोखले वादों की भेंट चढ़ रही है। कभी तीर्थयात्रियों, नाविकों और व्यापारियों की चहल-पहल से गूंजने वाले यमुना के घाट आज वीरान और प्रदूषित पड़े हैं। यह नदी, जो आगरा की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर की प्रतीक थी, अब मरघट बन चुकी है। सरकार की उदासीनता ने यमुना को जहर का दरिया बना दिया है, और इसके घाटों की शान खामोश कब्रों में तब्दील हो गई है

यमुना के ऐतिहासिक घाटों का विनाश और खोखले वादे

यमुना के घाट कभी आगरा की धड़कन थे। सुबह-शाम आरतियों की गूंज, स्नान की रस्में और धार्मिक आयोजन इन घाटों की रौनक थे। नाविकों की कश्तियां माल ढोती थीं, और तीर्थयात्री यहां सुकून तलाशते थे। लेकिन 1975 में आपातकाल के दौरान संजय गांधी के आदेश पर इन घाटों को बेरहमी से ध्वस्त कर दिया गया। यह आगरा की सांस्कृतिक विरासत पर गहरा आघात था। 2003 में मायावती सरकार ने रिवर फ्रंट की योजना बनाई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। तब से हर सरकार ने यमुना की बहाली के बड़े-बड़े दावे किए, मगर नतीजा सिफर रहा।

प्रदूषण का बढ़ता जहर और गाद का बोझ

प्रदूषण का जहर, गाद का बोझ बढ़ रहा है। यमुना की हालत बद से बदतर होती जा रही है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, आगरा में यमुना का पानी इतना जहरीला है कि नहाने, पीने या जलचरों के लिए भी खतरनाक है। नदी की तलहटी में 6 से 8 फुट गाद जमा है, जो पानी के बहाव को रोक रही है। बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 30 mg/L से अधिक है, जबकि स्वस्थ नदी के लिए यह 3 mg/L से कम होना चाहिए है। फैक्ट्रियों का कचरा, बिना ट्रीट किया सीवेज, और अनियंत्रित औद्योगिक अपशिष्ट यमुना को मौत के कगार पर ले आए हैं।

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लंबित परियोजनाएं और ‘नमामि गंगे’ की विफलता

ताजमहल के डाउनस्ट्रीम बैराज, जो नदी में पानी का स्तर बनाए रख सकता है, दशकों से कागजी योजनाओं में अटका है। 2014 से 2025 तक केंद्र और राज्य सरकारों ने यमुना की सफाई के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। नमामि गंगे मिशन आगरा में पूरी तरह नाकाम रहा। गाद हटाने, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने या ताजा पानी की आपूर्ति की कोई कारगर योजना नहीं बनी।

सामाजिक संगठनों का संघर्ष और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता

यमुना की बहाली के लिए रिवर कनेक्ट कैंपेन जैसे संगठन सालों से जद्दोजहद कर रहे हैं। इस अभियान ने नगर निगम से बार-बार एत्माद्दौला व्यू पॉइंट पर पक्का घाट और यमुना आरती स्थल बनाने की मांग की है। एक पक्का घाट न केवल तीर्थयात्रियों को सुविधा देगा, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक आयोजनों को भी बढ़ावा देगा। योगी सरकार ने हाल में यमुना घाटों और आरती की परंपरा को पुनर्जनम देने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय प्रशासन की सुस्ती ने इन प्रयासों को कागजी साबित किया।

यमुना सिर्फ नदी नहीं, आगरा की जान है। इसके घाटों की बहाली खोखले वादों से नहीं, ठोस कदमों से संभव है। सरकार को तत्काल ये कदम उठाने चाहिए:

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यमुना की बहाली के लिए आवश्यक तत्काल कदम

यमुना सिर्फ एक नदी नहीं, आगरा की जान है। इसके घाटों की बहाली खोखले वादों से नहीं, बल्कि ठोस कदमों से संभव है। सरकार को तत्काल ये कदम उठाने चाहिए:

  • घाटों का पुनर्निर्माण: एत्माद्दौला और अन्य प्रमुख स्थानों पर पक्के घाटों का निर्माण किया जाए।
  • नदी की सफाई: गाद हटाने, नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने और फैक्ट्रियों के कचरे के निपटान पर सख्ती की जाए।
  • डाउनस्ट्रीम बैराज: ताजमहल के नीचे बैराज का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
  • नाव परिवहन: प्रदूषण-मुक्त जल परिवहन को बढ़ावा देकर पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति दी जाए।
  • जल आपूर्ति: ओखला और हथिनीकुंड बांधों से ताजे पानी की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित हो।
  • रेतिया निकालना: नदी की तलहटी से गाद हटाने का नियमित अभियान शुरू किया जाए।
  • प्रदूषण पर सख्ती: सुलभ शौचालयों के बाद भी यमुना में शौच करने वालों पर जुर्माना लगे और अवैध कब्जों को हटाया जाए।
  • अवैध कब्जों का खात्मा: यमुना तट पर अनधिकृत कब्जे और अराजकता को तत्काल समाप्त किया जाए। पुलिस और राजनीतिक संरक्षण में घाटों व पार्कों को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई हो। धोबियों और पशुपालकों के लिए नदी तट पर विशेष स्थान तय किए जाएं ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण हो सके।
  • बारिश के पानी का संग्रह: आगरा में बारिश के पानी को संग्रह करने के लिए कीठम झील जैसे और जलाशय बनाए जाएं, जिससे यमुना का जलस्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • कृषि प्रदूषण नियंत्रण: जायद की फसलों में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का न्यूनतम उपयोग हो, और फसल के बाद सफाई अनिवार्य हो।
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बारिश का पानी, भविष्य की पूंजी है। आगरा में बारिश के पानी को संग्रह करने के लिए कीठम झील जैसे और जलाशय बनाए जाएं। इससे यमुना का जलस्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी। साथ ही, जायद की फसलों में कीटनाशकों और रासायनिक खादों का न्यूनतम उपयोग हो, और फसल के बाद सफाई अनिवार्य हो।यमुना के घाट आगरा की धड़कन हैं, और इसकी दुर्दशा शहर की आत्मा को कमजोर कर रही है। रिवर कनेक्ट कैंपेन के एक्टिविस्ट डॉ. देवाशीष भट्टाचार्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि यमुना तट के पुनर्निर्माण और रखरखाव के लिए विभागाध्यक्षों और स्वयंसेवी संस्थाओं की बैठक बुलाई जाए। ताजमहल से वाटर वर्क्स चौराहे तक ट्रैफिक नियंत्रण, पैदल यात्रियों के लिए सुविधाएं, और वन-वे ट्रैफिक व्यवस्था लागू हो।

यमुना सिर्फ आगरा की धरोहर नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए अमानत है। अगर इसे बचाना है, तो ऐलानबाजी छोड़कर जमीनी कार्रवाई की जरूरत है। यमुना के घाटों की बहाली न केवल आगरा की सांस्कृतिक शान को लौटाएगी, बल्कि एक स्वच्छ और जीवंत नदी का तोहफा भी देगी। सरकार अब और देर न करे—यमुना की पुकार को अनसुना करना आगरा की आत्मा को खोने जैसा है।

 

 

 

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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