नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में विगत 12 जून को हुए एयर इंडिया विमान हादसे के बाद बड़े सवाल खड़े हो गए हैं: आखिर प्लेन क्रैश कैसे हुआ? कहां गलती हुई जिसकी वजह से 265 लोगों की जान चली गई? और प्लेन के कॉकपिट में उस दौरान क्या-क्या हुआ? इन सभी सवालों के जवाब अब एयर इंडिया AI-171 विमान के ब्लैक बॉक्स और DVR (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) की जांच के बाद मिल सकते हैं। दुखद दुर्घटना के बाद ये दोनों महत्वपूर्ण गैजेट बरामद कर लिए गए हैं। एआई-171 विमान का ब्लैक बॉक्स बीजे मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की छत पर मिला, जहां बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था।
ब्लैक बॉक्स और DVR: हादसे की जांच में अहम कड़ी
ब्लैक बॉक्स और DVR एयर इंडिया बोइंग 787 ड्रीमलाइनर दुर्घटना की जांच करने में महत्वपूर्ण हैं, जहां विमान 1000 डिग्री सेल्सियस की आग में जल गया था। फ्लाइट रिकॉर्डर, जिसे आमतौर पर ब्लैक बॉक्स कहा जाता है, विमान हादसों की जांच के लिए एक महत्वपूर्ण गैजेट है। इस तकनीक की शुरुआत 1930 के दशक में फ्रांसीसी इंजीनियर फ्रांस्वा हुसैनो ने की थी, जिन्होंने फोटोग्राफिक फिल्म पर विमान के दस पैरामीटर्स को रिकॉर्ड करने वाला एक इक्विपमेंट बनाया था। तब से लेकर आज तक, ब्लैक बॉक्स की तकनीक में लगातार सुधार हुआ है।
नारंगी रंग का होने पर भी ‘ब्लैक बॉक्स’ क्यों?
शुरुआत में इसे “ब्लैक बॉक्स” इसलिए कहा गया क्योंकि यह एक प्रकाश-रोधी डिब्बे में था, लेकिन इसका रंग हमेशा नारंगी (ऑरेंज) रहा, ताकि हादसे के बाद इसे आसानी से ढूंढा जा सके। आज के ब्लैक बॉक्स ठोस-राज्य मेमोरी चिप्स का इस्तेमाल करते हैं, जिनमें कोई हिलने-डुलने वाला हिस्सा नहीं होता, जिससे हादसे में टूटने का खतरा कम होता है।
ब्लैक बॉक्स में दो मुख्य हिस्से होते हैं:
- फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR): यह उड़ान की तकनीकी डिटेल्स जैसे ऊंचाई, स्पीड और इंजन की स्थिति रिकॉर्ड करता है।
- कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह कॉकपिट की आवाजें और बातचीत रिकॉर्ड करता है।
एयर इंडिया हादसे में DVR, जो ब्लैक बॉक्स से अलग है, विमान के विभिन्न कैमरों से सीसीटीवी फुटेज रिकॉर्ड करता है, जिसमें कॉकपिट और केबिन की फुटेज शामिल हैं। यह जांच में अतिरिक्त जानकारी देता है।
3,500 पैरामीटर्स और अदम्य क्षमता
पुराने A300B2 के ब्लैक बॉक्स केवल 100 पैरामीटर्स रिकॉर्ड कर सकते थे, जबकि आज का A350 का ब्लैक बॉक्स 3,500 पैरामीटर्स को 25 घंटे तक स्टोर कर सकता है। ब्लैक बॉक्स आग, विस्फोट, टक्कर और पानी से बच सकता है, जिससे हादसे के बाद भी डेटा सुरक्षित रहता है। यह हादसों के कारणों को समझने और भविष्य में उन्हें रोकने के लिए ज़रूरी है।
ब्लैक बॉक्स को बेहद कठिन परिस्थितियों में भी टिकने के लिए बनाया जाता है। इन्हें टाइटेनियम या स्टेनलेस स्टील जैसी मज़बूत मटेरियल में लपेटा जाता है, जो 3,400 गुना गुरुत्व बल तक झेल सकता है। ये 1,100 डिग्री सेल्सियस तक की आग को एक घंटे तक सहन कर सकते हैं और 6,000 मीटर गहरे पानी में 30 दिन तक काम कर सकते हैं। पानी में इन्हें खोजने के लिए इनमें सिग्नल भेजने वाले बीकन भी लगे होते हैं।
एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 हादसे में DVR का मलबे से मिलना जांच के लिए महत्वपूर्ण है। दिल्ली में हाल ही में शुरू हुए डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर लैब में DVR और ब्लैक बॉक्स के डेटा का विश्लेषण होगा। यह लैब क्षतिग्रस्त रिकॉर्डर को ठीक कर डेटा निकाल सकती है, जो हादसे के कारण जैसे मैकेनिकल खराबी या पायलट के कार्यों को समझने में मदद करता है।
हालांकि ब्लैक बॉक्स बहुत भरोसेमंद हैं, लेकिन कभी-कभी क्षति के कारण डेटा अधूरा रह सकता है। फिर भी, इनकी मजबूत बनावट, आग और पानी से सुरक्षा के कारण ये हादसों के कारणों को समझने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं।