Betrayal of Bravery: The Relocation of the Rezang La War Memorial

Rezang La War Memorial

Manisha singh
3 Min Read
रेजांग ला युद्ध का नये स्थान पर बना युद्ध स्मारक

1962 के भारत-चीन युद्ध में मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में भारतीय सेना की 13 कुमाऊँ रेजिमेंट की टुकड़ी ने अपने मोर्चे को बचाने के लिए आख़िरी दम तक संघर्ष किया था। यह युद्ध भारतीय सैन्य इतिहास के सबसे गौरवशाली अध्यायों में से एक है। रेजांग ला युद्ध में भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान को याद करने के लिए बनाया गया स्मारक हमेशा से देशभक्ति का प्रतीक रहा है।

रेजांग ला युद्ध का मूल स्मारक।

मूल स्मारक की शिफ्टिंग:

हालांकि, 2020 में लद्दाख ऑटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के तहत आने वाला यह क्षेत्र किसी सैन्य समझौते के तहत बफर जोन घोषित कर दिया गया। परिणामस्वरूप, मूल स्मारक को हटाना पड़ा। जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मूल स्मारक के स्थान पर एक नया स्मारक बफर जोन के बाहर बनाया गया है।

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हकीकत केवल फिल्म नहीं प्रेरक प्रसंग भी

चुशूल (लद्दाख) की पहाडियों में फिल्माई गई फिल्म हकीकत ।

1962 की इस लाडाई पर एक फिल्म हकीकत बनायी इसे भारतीयों ने महज फिल्म नहीं एक प्रेरक प्रसंग के रूप में भी लिया। इस युद्ध का एक स्मारक भी उस स्थान पर बनाया गया जहां रणवांकुरों ने अपना दमखम दिखाय था। 2019 तक यह युद्ध स्मारक आस्था का केन्द्र बना रहा ।

परंवीर चक्र से सम्मानित वार हीरो मेजर शैतान सिंह ।

सरकार का पक्ष:

सरकार का तर्क है कि पुराना स्मारक बहुत छोटा था और इसलिए एक नए, बड़े स्मारक की आवश्यकता थी। हालांकि, इस मुद्दे पर संसद में काफी बहस हुई है और विपक्ष ने सरकार की इस निर्णय पर सवाल उठाए हैं।

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जनभावनाएं हुई आहत :

रेजांग ला युद्ध और उसके स्मारक का भारतीयों के मन में एक विशेष स्थान है। स्मारक को हटाने के निर्णय से कई लोगों में निराशा हुई है। उन्हें लगता है कि इस तरह से शहीदों के बलिदान का अपमान किया जा रहा है।

मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में लडे गये रेजांग ला युद्ध की दास्तान आंकित सूचना पट

भ्रम और सच्चाई:

इस पूरे मामले में कई तरह के भ्रम फैलाए जा रहे हैं। कुछ लोग दावा करते हैं कि स्मारक को हटाने से भारत की छवि खराब होगी। हालांकि, यह तथ्य से परे है। 1964 में जब “हकीकत” फिल्म रिलीज हुई थी, तब भी देश की छवि पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा था।

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रेजांग ला युद्ध स्मारक को हटाने का मामला एक जटिल मुद्दा है। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा, जनभावनाएं और राजनीति के कई आयाम शामिल हैं। इस मुद्दे पर सभी पक्षों को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत करनी चाहिए और एक समाधान निकालना चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो।

 

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