भारत रत्न चौधरी चरण सिंह: अनसुनी बातें और आगरा से नाता

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भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, किसानों के मसीहा, चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित करने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर की गई है।

चौधरी चरण सिंह का जीवन अनेक अनसुनी बातों से भरा है, जो उनके व्यक्तित्व और सिद्धांतों को दर्शाती हैं। प्रोफेसर केएस राना, जो उनके साथ काम करते थे और उन पर कई किताबें लिख चुके हैं, ने कुछ रोचक तथ्य साझा किए हैं:

आगरा से गहरा नाता:

  • 1925 में आगरा कॉलेज से बीएससी और 1927 में इतिहास में एमए किया।
  • 1928 में लॉ प्रथम वर्ष आगरा और द्वितीय वर्ष मेरठ से पास किया।
  • 1925 में दलितों के साथ सहभोज कार्यक्रम में भाग लेने के कारण छात्रावास से निकाल दिए गए।
  • शहीद भगत सिंह छात्रावास में लगातार रहे।

सिद्धांतों के प्रति अटूट निष्ठा:

  • 23 दिसंबर 1978 को दिल्ली में मोरारजी देसाई के खिलाफ 35 लाख किसानों की रैली का आयोजन किया, जो विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रैली मानी गई।
  • सिद्धांतों से समझौता न करने के कारण मुख्यमंत्री पद से दो बार इस्तीफा दिया।
  • अपने नाम के साथ कभी “चौधरी” नहीं लिखा, केवल “चरण सिंह” लिखते थे।

अंतिम क्षणों में बापू के साथ:

  • चौधरी चरण सिंह, महात्मा गांधी के अंतिम क्षणों में उपस्थित रहने वाले लोगों में से एक थे।

चौधरी चरण सिंह एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व थे, जिन्होंने किसानों के हित में क्रांतिकारी कार्य किए। उनका जीवन सादगी, सिद्धांतों और निष्ठा का प्रतीक है।

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