इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि स्तन पकड़ना और पायजामा का नाड़ा तोड़ना बलात्कार नहीं, बल्कि गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध है। न्यायमूर्ति राम मनोहर मिश्र ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश और दो अन्य आरोपियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। अदालत ने बलात्कार के प्रयास और अपराध की तैयारी के बीच के अंतर को स्पष्ट करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
मामले का विवरण
यह मामला 2021 का है, जब कासगंज की एक अदालत ने पवन और आकाश नामक दो आरोपियों को एक नाबालिग लड़की के साथ कथित बलात्कार के लिए आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए तलब किया था। हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ धारा 376 के बजाय धारा 354-बी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) और पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने आरोपियों की पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप बलात्कार के प्रयास को साबित नहीं करते हैं। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने 11 वर्षीय पीड़िता के स्तनों को पकड़ा और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की, लेकिन राहगीरों के हस्तक्षेप के कारण वे भाग गए। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह अनुमान लगाया जा सके कि आरोपी पीड़िता के साथ बलात्कार करने के इरादे से थे।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने निचली अदालत को आरोपियों के खिलाफ धारा 354-बी आईपीसी और पॉक्सो एक्ट की धारा 9/10 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।