नई दिल्ली। चीन-भारत की सीमा पर तनाव के बीच भारत सरकार ने बुधवार को 9,600 जवानों को इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) में शामिल करने की इजाजत दे दी है। इससे भारत की चीन सीमा पर सुरक्षा और मजबूत होगी। चीन सीमा पर सुरक्षा के लिए सबसे आगे आईटीबीपी के जवान ही तैनात रहते हैं। इसके साथ ही सात नई बटालियन और एक नया सेक्टर मुख्यालय भी स्थापित करना होगा।
गौरतलब है की चीन सीमा पर सुरक्षा के लिए सबसे आगे इंडो-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवान तैनात रहते हैं। अप्रैल 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच कई बार टकराव हो चुका है। इसकी वजह से जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के झड़प भी हुई थी।
भर्ती का प्रस्ताव वर्ष 2013-14 से पेंडिंग था
आईटीबीपी में जवानों की भर्ती का यह प्रस्ताव वर्ष 2013-14 से ही पेंडिंग था। शुरुआत में इसमें 12 नई बटालियन बनाने की बात थी, लेकिन अब इसे घटाकर सात बटालियन कर दिया गया है। वास्तविक सीमा रेखा (एलएसी) के साथ सीमा चौकियों और स्टेजिंग कैंपों की संख्या बढ़ाने का भी फैसला लिया गया है। चीन की सीमा पर पिछले कुछ वर्षों में पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की तरफ अक्सर दोनों देशों के जवानों में झड़पें होने की खबरें आती रहती हैं। हालांकि भारतीय सेना चीनी जवानों को देपसांग के मैदानों और लद्दाख में चार्डिंग नल्ला क्षेत्र में उनके कई पारंपरिक गश्त बिंदुओं तक पहुंच से रोकने में सफल रहे हैं।
भर्ती का फैसला दिसंबर में ही ले लिया गया था
आईटीबीपी में जवानों की भर्ती का यह फैसला भारत और चीनी सेनाओं के बीच पिछले साल दिसंबर में हुई झड़प के बाद ही ले लिया गया। यह झड़प अरुणाचल प्रदेश के तवांग में हुई थी। इसमें कई भारतीय जवान भी घायल हो गये थे और सेना प्रमुख मनोज पांडेय ने कई बार चीन-भारत सीमा की स्थिति को “स्थिर और अप्रत्याशित” बताया था।
अप्रैल 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच कई बार आमना-सामना होने की वजह से जून 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के झड़प भी हुई थी। तब से कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत से लद्दाख के पांच फ्रिक्शन प्वाइंट्स पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव से दूरी बनाए रखने में सफलता मिली है। हालांकि, दोनों ही देश बड़ी संख्या में सैनिकों को सीमा पर बनाए रखना जारी रखे हुए हैं।