रायपुर (छत्तीसगढ़): छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर क्षेत्र के भालूडिगी पहाड़ों में सुरक्षा बलों को नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी सफलता मिली है. रविवार से जारी मुठभेड़ में अब तक एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली जयराम उर्फ चलपति सहित 20 नक्सली मारे जा चुके हैं. सुरक्षा बलों ने मारे गए नक्सलियों के पास से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए हैं.
रविवार रात से शुरू हुई यह मुठभेड़ मैनपुर के भालूडिगी पहाड़ी क्षेत्र में हुई. सुरक्षा बलों ने नक्सलियों को घेर लिया था, जहाँ दोनों पक्षों के बीच भीषण गोलीबारी हुई. जानकारी के अनुसार, लगभग 50 नक्सली अभी भी सुरक्षा बलों के घेरे में हैं. यह मुठभेड़ नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे एक बड़े ऑपरेशन का हिस्सा है.
संयुक्त ऑपरेशन
यह ऑपरेशन छत्तीसगढ़-ओडिशा बॉर्डर पर चलाया जा रहा है और यह छत्तीसगढ़ पुलिस, ओडिशा पुलिस, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और कोबरा बटालियन का एक संयुक्त अभियान है. इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों की कुल 10 टीमें शामिल हैं, जिनमें 3 टीमें ओडिशा पुलिस की, 2 टीमें छत्तीसगढ़ पुलिस की और 5 टीमें सीआरपीएफ की हैं. जवान इलाके में सर्चिंग ऑपरेशन पर निकले थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया, जिसके बाद मुठभेड़ शुरू हो गई.
वरिष्ठ अधिकारियों का मौके पर दौर
मुठभेड़ की सूचना मिलते ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मैनपुर पहुँच गए हैं. इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है और सुरक्षा के मद्देनजर भाटीगढ़ स्टेडियम को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है.
सर्चिंग ऑपरेशन के दौरान 3 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) भी बरामद किए गए हैं. सोमवार को अभियान के दौरान दो महिला नक्सलियों को भी मार गिराया गया था और मुठभेड़ स्थल से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल (SLR) सहित बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और बारूदी सुरंगें बरामद की गई हैं.
खुफिया जानकारी और अभियान की शुरुआत
अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा के नुआपाड़ा जिले की सीमा से लगभग पाँच किलोमीटर दूर छत्तीसगढ़ के कुल्हाड़ीघाट रिजर्व वन में माओवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिलने के बाद 19 जनवरी की रात को यह अभियान शुरू किया गया था.
मुख्यमंत्री का बयान
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सुरक्षा बलों की इस सफलता की सराहना करते हुए कहा कि “डबल इंजन सरकार” (केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा सरकार) के तहत छत्तीसगढ़ निश्चित रूप से मार्च 2026 तक इस नक्सली खतरे से मुक्त हो जाएगा.