नई दिल्ली। कोरोना अब मुंह का स्वाद बिगाड़ रहा है। विशेषज्ञों ने एक नई पहचान कोरोना को लेकर उजागर की है। इन दिनों देश में एच3एन2 (इन्फ्लूएंजा) के बीच कोविड के मामलों में उछाल ने टेंशन बढ़ाई है। दिल्ली, महाराष्ट्र, केरल समेत कई राज्यों में कोरोना ने फिर रफ्तार पकड़ी है। संक्रमितों में सर्दी, खांसी, जुकाम, गले में खराश, हल्के बुखार जैसे लक्षण आम हैं। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों में इस बार लक्षण ज्यादा समय तक दिख रहे हैं। कफ की समस्या भी रहती है। कोरोना मरीजों को अब एक नई परेशानी से जूझना पड़ रहा है। वायरस उनके मुंह का स्वाद बिगाड़ रहा है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इस बार कोरोना इन्फेक्शन की सबसे बड़ी पहचान यही है कि स्वाद में कड़वाहट आ जाती है। राहत की बात यह है कि कोरोना पहले की तरह फेफड़ों मे उतरकर निमोनिया में तब्दील नहीं हो रहा। ऐसा होता तो शरीर में ऑक्सीजन की कमी से खतरा बढ़ जाता। संक्रमण की हालिया लहर के कमजोर होने के पीछे यही वजह बताई जा रही है। हालांकि, वायरस अब गले में कॉलोनी बसा लेता है। कोविड का असर अब अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम पर ज्यादा दिख रहा है।
मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, को-मॉर्बिड मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है। भले ही अभी फैल रहा कोरोना उतनी गंभीर नहीं है, लेकिन शुगर, किडनी, लिवर, हार्ट, कैंसर, एनीमिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को ज्यादा खतरा है। ऐसे लोगों में सामान्य इन्फ्लूएंजा भी निमोनिया बन सकता है। संभव हो तो को-मॉर्बिडिटी वाले मरीज घर से मास्क पहनकर बाहर निकलें। किसी को दो से अधिक बार कोरोना हो रहा है तो उसका असर शरीर के अलग-अलग अंगों पर देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों की मानें तो किसी को तीसरी बार कोरोना हो रहा है तो उसके फेफड़ों पर इसका असर देखने को मिल रहा है। इससे शरीर में जॉइंट पेन जैसी समस्या हो रही है।