जैसलमेर (राजस्थान): जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में आई गहरी खाई का असर अब सीमा पार से आकर भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों पर भी पड़ रहा है। हमले के तुरंत बाद भारत सरकार ने एक कड़ा फैसला लेते हुए देश में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को आगामी 27 अप्रैल तक भारत छोड़ने का आदेश जारी कर दिया है। इस निर्णय से पाकिस्तान से आए कई ऐसे लोग मुश्किलों में घिर गए हैं, जो यहां अपने परिवारों के साथ रह रहे थे और अब उन्हें फिर से अपनों से दूर होने का दर्द झेलना पड़ सकता है।
इस सरकारी आदेश का सबसे मार्मिक पहलू राजस्थान के जैसलमेर में देखने को मिल रहा है, जहां 27 वर्षीय पाकिस्तानी हिंदू नागरिक राधा भील को अपने दो साल के मासूम बेटे से फिर से अलग होने का डर सता रहा है। दो साल के लंबे इंतजार के बाद राधा को महज 20 दिन पहले ही अपने कलेजे के टुकड़े घनश्याम को गले लगाने का सौभाग्य मिला था, लेकिन अब पहलगाम हमले के बाद मां-बेटे के इस मिलन पर फिर से वियोग का साया मंडरा रहा है।
27 अप्रैल तक देश छोड़ने की मियाद
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने त्वरित प्रतिक्रिया दिखाते हुए पाकिस्तानी वीजा को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया और यह स्पष्ट आदेश जारी किया कि भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को हर हाल में 27 अप्रैल तक देश छोड़ देना होगा। इस आदेश के बाद पाकिस्तान से आए अल्पकालिक वीजा धारकों के लिए यहां रुकना नामुमकिन हो गया है। राधा और उनका परिवार लगातार इस कोशिश में जुटा है कि मां और बेटे को फिर से बिछुड़ने की पीड़ा न सहनी पड़े, लेकिन देश छोड़ने की अंतिम तिथि नजदीक आने के साथ ही उनकी चिंता बढ़ती जा रही है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय प्रशासन इस छोटे बच्चे को उसकी मां के साथ रहने की मानवीय आधार पर कोई रियायत देता है या नहीं।
राधा की तरह ही राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में पाकिस्तान से आए कई अन्य हिंदू परिवार भी इसी तरह के संकट का सामना कर रहे हैं, जो अल्पकालिक वीजा (Short Term Visas – STVs) पर यहां शरण लिए हुए हैं। अकेले जैसलमेर जिले में ही अल्पकालिक वीजा पर आए 1,200 से अधिक पाकिस्तानी हिंदू नागरिक इस सरकारी आदेश से गहरे सदमे और निराशा में हैं, क्योंकि उनके सिर पर देश छोड़ने की तलवार लटक रही है।
2023 में मां के साथ नहीं आ सका था घनश्याम
राधा भील और उनके पति राजू राम (30 वर्ष), अपनी दो बेटियों (8 और 7 वर्ष) के साथ फरवरी 2023 में अल्पकालिक वीजा पर भारत आए थे। हालांकि, उनके बेटे घनश्याम, जो उस समय दो महीने से भी कम उम्र का था, को वीजा देने से भारतीय अधिकारियों ने मना कर दिया था। इसी तरह, राजू राम के माता-पिता को भी अल्पकालिक वीजा नहीं मिल सका था। घनश्याम और उसके दादा-दादी को एसटीवी के माध्यम से भारत आने में पूरे दो साल का लंबा इंतजार करना पड़ा और आखिरकार वे 6 अप्रैल को ही अपने परिवार से मिल पाए थे।
“मुझे एक बार फिर अलग होना पड़ेगा”: बेबस मां का दर्द
सरकार के इस अचानक फैसले से बेबस और निराश राधा भील का दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। रोते हुए राधा ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, “मैंने अपने बच्चे को अपनी गोद में लेने के लिए दो साल तक लंबा इंतजार किया, और अब जब कुछ दिन ही हम साथ रह पाए हैं, तो एक बार फिर मुझे उससे अलग होना पड़ेगा। यह मेरे लिए असहनीय है।”
राधा की तरह ही जैसलमेर में कई अन्य हिंदू शरणार्थी भी गहरे दुख और अनिश्चितता के बादल तले जी रहे हैं, जो पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर भारत में शरण लेने आए थे। इनमें से एक शरणार्थी, दिलीप सिंह सोधा ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, “आप हमें यहीं गोली मार सकते हैं। अगर हम यहां मरते हैं, तो कम से कम हमारी राख तो हरिद्वार में विसर्जित की जा सकेगी।” उनकी यह मार्मिक टिप्पणी भारत में शरण लेने वाले इन बेबस लोगों की गहरी पीड़ा और भविष्य को लेकर उनके डर को दर्शाती है। अब देखना यह है कि भारत सरकार इन मानवीय पहलुओं पर विचार करते हुए कोई राहत प्रदान करती है या नहीं।