दुष्कर्म पीड़िता से बयान के एवज में दारोगा ने मांगी लग्जरी गाड़ी, एसपी ने किया निलंबित

BRAJESH KUMAR GAUTAM
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मोतिहारी (बिहार): बिहार के मोतिहारी जिले में पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात भले ही बेहतर पुलिसिंग के लिए नए-नए तरीके अपना रहे हों, लेकिन उनके विभाग के कुछ कर्मी उनके प्रयासों को पलीता लगाते दिख रहे हैं। ताजा मामला हरसिद्धि थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में कोर्ट में बयान दर्ज कराने और कार्रवाई करने के बदले जांच अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति ने लग्जरी गाड़ी की मांग कर डाली। इस शर्मनाक घटना का एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है।

पीड़िता, जो हरसिद्धि थाना क्षेत्र की रहने वाली है, के साथ पड़ोस के एक युवक ने शादी का झांसा देकर लगातार दुष्कर्म किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया। इसके बाद पीड़िता अपने परिजनों के साथ 27 अप्रैल को थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंची और पुलिस से न्याय की गुहार लगाई। आरोप है कि पुलिस ने शुरुआत में पीड़िता की शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया।

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जब पीड़ित परिवार ने कार्रवाई न होने पर दोबारा थाने से गुहार लगाई, तो केस की इंचार्ज महिला दरोगा पिंकी कुमारी ने अपने एक कथित संबंधी के माध्यम से अजीब मांग रख दी। वायरल ऑडियो क्लिप के अनुसार, महिला दरोगा का संबंधी, जो बयान कलमबद्ध कर रहा था, पीड़िता के परिवार से कोर्ट में बयान दर्ज कराने के एवज में एक लग्जरी गाड़ी की मांग कर रहा है। गरीब परिवार ने अपनी असमर्थता जताई तो महिला दारोगा और उसके साथी ने कथित तौर पर यह भी कहा कि केस करने पर पैसा तो खर्च करना ही पड़ेगा, यहां तक कि अदालत में पेशकार और चपरासी को भी पैसे देने पड़ेंगे।

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इस ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात ने तत्काल संज्ञान लेते हुए अरेराज एसडीपीओ को जांच का जिम्मा सौंपा। जांच में आरोप सही पाए जाने पर एसपी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए महिला दारोगा पिंकी कुमारी को तत्काल निलंबित कर दिया और उन्हें लाइन क्लोज कर दिया गया है। यह भी सामने आया है कि इस दुष्कर्म के मामले में एफआईआर जानबूझकर 48 घंटे बाद दर्ज की गई थी, ताकि मेडिकल जांच में कोई ठोस सबूत न मिल सके। पीड़िता के गरीब परिजनों से कथित तौर पर ऑटो की जगह लग्जरी गाड़ी लाने की मांग की गई, जिससे न्याय की उम्मीद और धूमिल हो गई।

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पुलिस अधीक्षक ने भले ही महिला दारोगा को निलंबित कर दिया है, लेकिन अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस मामले में अन्य आरोपियों पर कब तक और क्या कार्रवाई होती है। इस तरह की घटनाएं निश्चित रूप से प्रदेश पुलिस की छवि को खराब करने का काम करती हैं।

 

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