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दुश्मन के विमान, ड्रोन पलभर में खाक, भारत को मिला रूस का ये अचूक हथियार; पलभर में दुश्मन का होगा खात्मा

Manasvi Chaudhary
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नई दिल्ली: पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना को एक बड़ी सैन्य मजबूती मिली है। सेना को हाल ही में रूसी मूल की Igla-S वायु रक्षा मिसाइलें प्राप्त हुई हैं। ये मिसाइलें बहुत कम दूरी की वायु सुरक्षा प्रणाली (VSHORADS) का हिस्सा हैं और सेना की हवाई हमलों से रक्षा करने की क्षमता को और मजबूत करेंगी।

सरकार द्वारा सेना को दिए गए आपातकालीन खरीद अधिकारों के तहत यह सौदा लगभग 260 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। इस अनुबंध के तहत प्राप्त इन अत्याधुनिक मिसाइलों को सीमा पर तैनात अग्रिम चौकियों पर तैनात किया जा रहा है। इनका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलिकॉप्टरों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों से हमारी रक्षा करना है।

सूत्रों के अनुसार, Igla-S मिसाइलों की यह नई खेप कुछ हफ्ते पहले ही भारतीय सेना को मिली है और इन्हें विशेष रूप से पश्चिमी सीमाओं पर तैनात किया जा रहा है, जहां पाकिस्तान की ओर से संभावित खतरा बना रहता है।

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वायुसेना और थलसेना दोनों को मिली नई वायु रक्षा ताकत

सिर्फ थलसेना ही नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना ने भी इसी प्रकार की इन्फ्रारेड आधारित VSHORADS मिसाइलों की खरीद का फैसला किया है। पिछले कुछ वर्षों में, सेना और वायुसेना दोनों ने ही आपातकालीन और फास्ट ट्रैक खरीद प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने शस्त्रागार को लगातार मजबूत किया है।

नई Igla-S मिसाइलों की तैनाती के साथ ही भारतीय सेना ने अपनी वायु रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाने के लिए 48 नए लॉन्चर और 90 अतिरिक्त मिसाइलों की खरीद के लिए भी निविदा जारी कर दी है। इसके अतिरिक्त, सेना अब लेजर बीम-राइडिंग VSHORADS सिस्टम को भी जल्द ही अपने बेड़े में शामिल करने की योजना बना रही है।

यह ध्यान देने योग्य है कि Igla-S, पुराने Igla मिसाइल सिस्टम का एक उन्नत संस्करण है, जो 1990 के दशक से भारतीय सेना में सफलतापूर्वक उपयोग में रहा है। सेना ने अपने पुराने मिसाइल स्टॉक को भी भारत की एक कंपनी के माध्यम से अपग्रेड और मरम्मत करवाया है, ताकि वे आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम रहें।

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ड्रोन से निपटने के लिए सेना की नई तकनीकें

पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तानी सेना द्वारा ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए, भारतीय सेना को बेहतर ड्रोन पहचान और उन्हें नष्ट करने की उन्नत तकनीक की सख्त आवश्यकता है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए, सेना ने स्वदेशी रूप से विकसित इंटीग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम (IDDIS) मार्क-1 को तैनात किया है। यह अत्याधुनिक सिस्टम 8 किलोमीटर से अधिक दूरी तक दुश्मन के ड्रोन को आसानी से पकड़ सकता है, उन्हें जाम कर सकता है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें नष्ट भी कर सकता है।

इस IDDIS मार्क-1 सिस्टम में लेजर तकनीक भी शामिल है, जो ड्रोन को जलाकर गिराने में सक्षम है। हाल ही में, सेना ने जम्मू क्षेत्र के 16 कॉर्प्स एरिया में इसी स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके एक पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराया था, जो इस प्रणाली की प्रभावी क्षमता को दर्शाता है।

DRDO ने बनाया यह शक्तिशाली हथियार

इसके अलावा, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भी एक नई और लंबी दूरी की डायरेक्ट एनर्जी वेपन विकसित की है। यह शक्तिशाली हथियार युद्ध के समय बड़े ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और दुश्मन के विमानों को पल भर में नष्ट करने की क्षमता रखता है। सेना को जल्द ही कम ऊंचाई पर उड़ने वाले दुश्मन के विमानों और ड्रोन को तेजी से पकड़ने वाले आधुनिक रडार सिस्टम भी मिलने वाले हैं, जो हमारी वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करेंगे।

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रूस से मिली इन Igla-S मिसाइलों और स्वदेशी रूप से विकसित उन्नत तकनीकों के साथ, भारतीय सेना पश्चिमी सीमा पर किसी भी हवाई खतरे का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए पहले से कहीं अधिक तैयार है, खासकर पाकिस्तान के साथ मौजूदा तनावपूर्ण माहौल को देखते हुए यह एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बढ़त प्रदान करता है।

 

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