FASTag का अंत? टोल टैक्स वसूली में आया बड़ा बदलाव – अब बिना रुके कटेगा आपका टोल!

Honey Chahar
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FASTag का अंत? टोल टैक्स वसूली में आया बड़ा बदलाव - अब बिना रुके कटेगा आपका टोल!

नई दिल्ली: अगर आप भी अक्सर नेशनल हाईवे पर सफर करते हैं और टोल प्लाजा पर FASTag का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार ने FASTag को चरणबद्ध तरीके से बंद करने और उसकी जगह एक अत्याधुनिक सिस्टम लाने का फैसला किया है। इस नई व्यवस्था का नाम GNSS (Global Navigation Satellite System) है, जो देश में टोल टैक्स वसूली के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने का वादा करती है। यह बदलाव आपके हाईवे यात्रा अनुभव को पूरी तरह बदल देगा।

क्या वाकई खत्म हो रहा है FASTag?

जी हाँ, यह बिल्कुल सच है! FASTag ने पिछले कुछ सालों में टोल भुगतान की प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया था, टोल प्लाजा पर लगने वाली लंबी लाइनों को खत्म कर दिया था। लेकिन अब सरकार एक कदम और आगे बढ़ रही है। GNSS सिस्टम लागू होने के बाद आपको न तो गाड़ी रोकनी पड़ेगी, न ही स्कैन करवाना होगा – टोल का भुगतान पूरी तरह से ऑटोमैटिक हो जाएगा।

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GNSS क्या है और यह कैसे काम करेगा?

GNSS यानी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एक बेहद उन्नत तकनीक है जो सैटेलाइट के ज़रिए आपकी गाड़ी की सटीक लोकेशन को ट्रैक करती है। इस सिस्टम में आपकी गाड़ी में एक OBU (On-Board Unit) डिवाइस लगाई जाएगी। जैसे ही आप हाईवे पर प्रवेश करेंगे, यह डिवाइस सैटेलाइट की मदद से आपके सफर की शुरुआत और अंत को रिकॉर्ड करेगी। आपने जितनी दूरी तय की होगी, उसी के हिसाब से टोल की गणना होगी और वह राशि आपके लिंक्ड बैंक खाते या डिजिटल वॉलेट से अपने आप कट जाएगी। इसका मतलब है, ‘जितना चलोगे, उतना ही टोल’ का सिद्धांत लागू होगा।

FASTag बनाम GNSS: एक तुलना

फीचर FASTag GNSS (Global Navigation Satellite System)
तकनीक RFID (रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान) आधारित सैटेलाइट आधारित
टोल कटौती टोल बूथ पर स्कैन से तय की गई दूरी के हिसाब से ऑटोमैटिक
रुकावट कभी-कभी टोल बूथ पर रुकना पड़ता है बिल्कुल नहीं (निर्बाध प्रवाह)
बिलिंग सिस्टम फिक्स अमाउंट (प्लाजा के हिसाब से) तय की गई प्रति किलोमीटर की दूरी पर चार्ज
डिवाइस विंडशील्ड पर स्टीकर गाड़ी में इलेक्ट्रॉनिक OBU (On-Board Unit)

इस बदलाव से होने वाले प्रमुख फायदे:

  • टोल प्लाजा पर भीड़ खत्म: लंबी लाइनों से छुटकारा मिलेगा।
  • ईंधन की बचत: गाड़ी को बार-बार रोकना नहीं पड़ेगा, जिससे ईंधन और समय दोनों बचेंगे।
  • जितना सफर, उतना टोल: केवल तय की गई दूरी का ही भुगतान करना होगा, जिससे पैसों की बचत होगी।
  • पारदर्शिता और भ्रष्टाचार पर रोक: पूरी प्रक्रिया डिजिटल और स्वचालित होगी, जिससे मानवीय हस्तक्षेप कम होगा।
  • सुगम यात्रा अनुभव: हाईवे पर सफर करना और भी सुगम और निर्बाध हो जाएगा।
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कुछ संभावित चुनौतियाँ:

शुरुआत में, यूजर्स को OBU डिवाइस खरीदने और उसे पुरानी गाड़ियों में लगाने में कुछ तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, कमज़ोर नेटवर्क वाले क्षेत्रों में ट्रैकिंग में दिक्कतें आ सकती हैं। लोगों को इस नई तकनीक को अपनाने में कुछ समय लग सकता है।

GNSS कब से लागू होगा?

सरकार की योजना के अनुसार, GNSS सिस्टम अप्रैल या मई 2025 से शुरू किया जाएगा। शुरुआत में यह कुछ चुनिंदा प्रमुख नेशनल हाईवे रूट्स पर लागू होगा और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में इसका विस्तार किया जाएगा। दिल्ली-मुंबई, बेंगलुरु-हैदराबाद जैसे कॉरिडोर पर यह सिस्टम सबसे पहले देखने को मिल सकता है।

क्या FASTag अभी बंद हो गया है?

नहीं, फिलहाल FASTag पूरी तरह से चालू और वैध है। लेकिन, GNSS सिस्टम के आने के साथ ही FASTag को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाएगा। सरकार इसके लिए सभी राज्यों के परिवहन विभाग और नेशनल हाईवे अथॉरिटी (NHAI) के साथ मिलकर काम कर रही है।

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आपको क्या करना चाहिए?

  • अपनी गाड़ी के लिए OBU डिवाइस के रजिस्ट्रेशन की जानकारी पर नज़र रखें।
  • अपने वाहन का KYC और बैंक खाता हमेशा अपडेटेड रखें।
  • मोबाइल नंबर और डिजिटल वॉलेट एक्टिव रखें।
  • परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या मोबाइल ऐप से नवीनतम अपडेट लेते रहें।
  • जैसे ही GNSS सिस्टम आपके रूट पर लागू हो, तुरंत रजिस्ट्रेशन कराएं।

भारत की सड़कें अब स्मार्ट हो रही हैं और टोल कलेक्शन सिस्टम भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। GNSS सिस्टम ड्राइवरों के लिए सुविधा बढ़ाएगा, वहीं सरकार को एक पारदर्शी और कुशल टोल वसूली प्रणाली का लाभ मिलेगा। वह दिन दूर नहीं जब हाईवे पर सफर करना पूरी तरह से बिना रुकावट और डिजिटल हो जाएगा – न कोई स्कैन, न कोई टोल प्लाजा, न लंबी लाइन। बस सफर कीजिए और आपके पैसे अपने आप कटते रहेंगे। तो तैयार हो जाइए इस बड़े बदलाव के लिए, क्योंकि अब FASTag नहीं, GNSS है भविष्य!

 

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