2 से 3 वर्षों में विदेशी यूनिवर्सिटी भारत में दिखाई देंगी, यूनिवर्सिटीज को फीस स्‍ट्रक्‍चर तय करने की छूट होगी

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नई दिल्‍ली । देश में विदेशी यूनिवर्सिटी कैंपस खुलने के यूजीसी के ऐलान के बाद से ही स्‍टूडेंट्स के मन में इस लेकर काफी सवाल हैं। देश में विदेशी यूनिवर्सिटी के कैंपस कब तक खुलेंगे, इसमें एडमिशन का प्रोसेस क्‍या होगा, फीस कितनी होगी, डिग्री कहां से मिलेगी? इसतरह के कई सवाल स्‍टूडेंट्स के मन में हैं, जिनके जवाब दिए यूजीसी चेयरमैन प्रो. एम जगदीश कुमार ने दिए।

प्रो. कुमार ने कहा, हम मई 2022 में ट्विनिंग ज्‍वाइंट डुअल डिग्री का प्रोविजन लाए जिससे स्‍टूडेंट्स एक या दो सेमेस्‍टर की पढ़ाई विदेशी यूनिवर्सिटी से करके उसका क्रेडिट लेकर वापस आ सकते हैं। इसकी घोषणा के बाद ही 50 से ज्‍यादा भारतीय यूनिवर्सिटीज़ ने विदेशी यूनिवर्सिटीज के साथ कोलैबोरेशन करने के लिए आवेदन किया है। इसके अलावा विदेशी यूनिवर्सिटी के कैंपस भारत में होने से यहां के स्‍टूडेंट्स को बहुत फायदा होगा। ये कैंपस ऑटोनॉमस होगा, जिसमें मुख्य कैंपस जैसी ही एजुकेशन की क्‍वालिटी होगी और उन्‍हें डिग्री भी फॉरेन यूनिवर्सिटी की ही होगी।

फीस रेगुलेशन के सवाल पर कुमार ने कहा, हम फॉरेन यूनिवर्सिटीज को एडमिशन प्रोसेस, फैकल्‍टी रिक्रूटमेंट या ट्यूशन फीस स्‍ट्रक्‍चर की पूरी छूट देने वाले हैं, मगर साथ ही नीड बेस्‍ड पार्शियल और फुल स्‍कॉलरशिप का भी प्रावधान होगा। जिसमें गरीब छात्रों को पढ़ाई का मौका मिलेगा। इस अफरमेटिव एक्‍शन कहा जाता है जिसमें उन स्‍टूडेंट्स को मदद दी जाती है जिनके पास फाइनेंशियल रिसोर्स नहीं है।

उन्‍होंने कहा, जब भी कोई स्‍टूडेंट फॉरेन यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करता है, तब 2 तरह का एक्‍सपेंडीचर करना होता है, पहला ट्यूशन फीस और दूसरा वहां रहने-खाने और आने-जाने का खर्चा। विदेशी यूनिवर्सिटी देश में होने से स्‍टूडेंट्स का एक खर्चा बचेगा। इसके अलावा इन यूनिवर्सिटीज को अपना फीस स्‍ट्रक्‍चर तय करने की छूट होगी, मगर स्‍टूडेंट्स यह ध्‍यान रखें कि यह फीस हमारे देश की पर्चेजिंग कपैसिटी को ध्‍यान में रखकर ही तय की जाएगी और अनावश्‍यक रूप से बहुत ज्‍यादा नहीं होगी।

चेयरमैन ने कहा कि स्‍टूडेंट्स चाहे किसी भी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करें, उनके राइट्स प्रोटेक्‍ट करने के लिए यूजीसी हमेशा तत्‍पर रहेगा। अगर कोई फॉरेन यूनिवर्सिटी बीच सेशन में कैंपस बंद कर वापस जाना चाहे, तब स्‍टूडेंट्स का क्‍या होगा? ऐसी किसी भी परिस्थिति में यूजीसी स्‍टूडेंट्स के हितों का पूरा ध्‍यान रखेगा। उन्‍होंने बताया कि नॉर्थ अमेरिका, यूरोप, ऑस्‍ट्रेलिया और यूके से कई यूनिवर्सिटीज़ अभी डिस्‍कशन में हैं। इन्‍हें कैंपस बनाने और फैकल्‍टी रिक्रूट करने के लिए 2 साल का समय दिया जाएगा। उम्‍मीद है कि 2 से 3 वर्षों में विदेशी यूनिवर्सिटी भारत में दिखाई देंगी।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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