वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद विवाद 355 वर्ष से चल रहा है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष ने एएसआई से सर्वे कराने की मांग की थी। अदालत ने यह मांग स्वीकार करते हुए एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया। सर्वे हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। अब इस रिपोर्ट के आधार पर विवाद का निपटारा होगा।
विवाद का इतिहास
ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण 1669 में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में हुआ था। हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मस्जिद के निर्माण से पहले यहां एक प्राचीन मंदिर था। इस मंदिर को औरंगजेब ने तोड़कर मस्जिद बनाई थी। हिंदू पक्ष के इस दावे के समर्थन में कई ऐतिहासिक दस्तावेज और साक्ष्य मौजूद हैं।
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विवाद की शुरुआत
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की शुरुआत 1991 में हुई थी। उस समय एक महिला ने मां शृंगार गौरी को रोजाना पूजा करने की अनुमति मांगी थी। इस मामले में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद एक प्राचीन मंदिर है। इस दावे के समर्थन में हिंदू पक्ष ने एएसआई से सर्वे कराने की मांग की थी।
एएसआई सर्वे
अदालत ने हिंदू पक्ष की मांग स्वीकार करते हुए एएसआई से सर्वे कराने का आदेश दिया। सर्वे 12 से 16 मई 2023 तक चला। सर्वे में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं, जो हिंदू पक्ष के दावे को मजबूत करते हैं। सर्वे में ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां, शिवलिंग, यज्ञ कुंड, नंदी की मूर्ति आदि मिले हैं। इन सभी साक्ष्यों से यह पता चलता है कि ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक प्राचीन मंदिर था।
अब क्या होगा?
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर अब विवाद का निपटारा होगा। हिंदू पक्ष इस रिपोर्ट का उपयोग करके मस्जिद को तोड़कर मंदिर निर्माण की मांग कर सकता है। वहीं, मुस्लिम पक्ष इस रिपोर्ट को खारिज कर सकता है। इस मामले में अदालत को अंतिम फैसला सुनाना होगा।
Gyanvapi Masjid Case एक नजर में
1991: लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ का मुकदमा दाखिल करके पहली बार पूजापाठ की अनुमति मांगी गई। इस पर जिला अदालत ने सुनवाई की और मामला विचाराधीन ही रहा।
1993: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया।
2018: सुप्रीम कोर्ट ने 6 महीने बताई स्टे ऑर्डर की वैधता ।
2019: वाराणसी की जिला अदालत ने फिर शुरू की मामले की सुनवाई ।
2023: जिला जज की अदालत ने सील वजूखाने को छोड़कर ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया। सर्वे पूरा हुआ और रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई। इसी बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1991 के लॉर्ड विश्वेश्वर मामले में स्टे ऑर्डर हटाया। एएसआई से सर्वे कराने और रिपोर्ट निचली अदालत में दाखिल करने का आदेश दिया।
2024: जिला जज की अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट पक्षकारों को उपलब्ध कराने का आदेश पारित किया। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हुई।