नई दिल्ली। वक्फ संशोधन एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर मंगलवार (20 मई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही केंद्र सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच तीखी बहस छिड़ गई। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात पर आपत्ति जताई कि जब पिछली सुनवाई में केवल तीन मुद्दों पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया था, तो याचिकाकर्ताओं ने नए मुद्दे क्यों उठाए हैं। वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने इस दलील का खंडन करते हुए कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं था जो उन्हें अन्य मुद्दे उठाने से रोकता हो।
केंद्र की आपत्ति और याचिकाकर्ता का विरोध
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई की बेंच के सामने तर्क दिया कि कोर्ट ने अंतरिम राहत के लिए तीन विशिष्ट प्रश्न तय किए थे। उन्होंने कहा, “हमने उन पर जवाब दाखिल किया है, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने लिखित में नए सवाल पेश किए हैं। इसे तीन सवालों तक ही सीमित रखिए।” मेहता ने विशेष रूप से वक्फ बोर्ड की नियुक्ति, ‘वक्फ बाय यूजर’ (उपयोग के आधार पर वक्फ) और सरकारी संपत्ति की पहचान जैसे तीन मुद्दों का उल्लेख किया, जिन पर पिछली सुनवाई में चर्चा हुई थी।
हालांकि, कपिल सिब्बल ने तुषार मेहता की इस मांग का कड़ा विरोध किया। सिब्बल ने कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं था जिसमें यह कहा गया हो कि अंतरिम राहत की सुनवाई केवल तीन मुद्दों तक ही सीमित रहेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि कोर्ट ने इन मुद्दों पर चर्चा जरूर की थी, लेकिन ऐसा कभी नहीं कहा था कि केवल इन्हीं पर बात होगी।
बेंच ने जताई सिब्बल से सहमति
मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कपिल सिब्बल की बात पर सहमति जताई। बेंच ने टिप्पणी की कि आदेश में मुद्दों को सीमित करने की बात कहीं नहीं लिखी है। इस पर एसजी तुषार मेहता ने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि कोर्ट में तीन ही मुद्दों पर चर्चा हुई थी और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दूसरा पक्ष इसका विस्तार कर रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
वक्फ कानून पर पिछली सुनवाई 15 मई को हुई थी। उस समय, सीजेआई गवई की बेंच ने केंद्र सरकार को 19 मई तक इस मामले में हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया था। इससे पहले, इस मामले की सुनवाई पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की बेंच कर रही थी। जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई को रिटायर हो गए थे और रिटायरमेंट से पहले ही उन्होंने सभी पक्षों की सहमति से इस मामले को नए सीजेआई बी आर गवई को हस्तांतरित कर दिया था। जस्टिस गवई ने 14 मई को सीजेआई का पदभार ग्रहण किया है।
इस महत्वपूर्ण सुनवाई से वक्फ संशोधन एक्ट के भविष्य पर असर पड़ने की उम्मीद है, और देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस विवादास्पद कानून पर क्या रुख अपनाता है।