पर्यटन पर टिकी 70% अर्थव्यवस्था, एक तिहाई सैलानी भारतीय, फिर क्यों भारत से रिश्ते बिगाड़ रहा मालदीव?
भारत और मालदीव के बीच दशकों से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। 2023 के आम चुनाव में भारत समर्थक राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हारकर चीन समर्थक मोहम्मद मोइजू राष्ट्रपति बने। मोइजू ने भारत से अपने देश से सैन्य उपस्थिति वापस लेने का अनुरोध किया। हाल ही में मालदीव के तीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक बयान दिए। भारत सरकार ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया है।
- पर्यटन पर टिकी 70% अर्थव्यवस्था, एक तिहाई सैलानी भारतीय, फिर क्यों भारत से रिश्ते बिगाड़ रहा मालदीव?
- पहले जानते हैं मालदीव कहां है और इसकी आबादी कितनी है?
- भारत के साथ इसके रिश्ते कैसे रहे हैं?
- जब-जब मुसीबत आई भारत पहले बना मददगार
- पर्यटन के क्षेत्र में मालदीव कहां खड़ा है?
- …तो भारत पर कैसे निभर है मालदीव का पर्यटन?
- तो अब क्यों बिगड़ने लगे दोनों देश के रिश्ते?
- अभी क्या हुआ?
भारत और मालदीव के बीच संबंधों में खटास आने के पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण है भारत की चीन के साथ बढ़ती प्रतिस्पर्धा। चीन हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। मालदीव, जो हिंद महासागर में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान पर स्थित है, चीन के लिए एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मोइजू चीन के करीबी हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भी कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन और मालदीव के बीच संबंधों में सुधार होगा। मोइजू के राष्ट्रपति बनने के बाद से चीन ने मालदीव के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया है।
मालदीव की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है। भारत मालदीव का सबसे बड़ा पर्यटक स्रोत है। भारत से आने वाले पर्यटकों की संख्या में कमी आने से मालदीव की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है।
मालदीव के मंत्रियों द्वारा भारत और पीएम मोदी के खिलाफ दिए गए अपमानजनक बयानों से दोनों देशों के बीच संबंधों में और खटास आ सकती है। इन बयानों से भारत में भी भारी आक्रोश है।
आइये जानते हैं कि मालदीव कहां है? भारत के साथ इसके रिश्ते कैसे रहे हैं? पर्यटन में भारत पर कैसे निर्भर है मालदीव? अब क्यों खराब होने लगे भारत के साथ रिश्ते? अभी क्या विवाद हुआ?
पहले जानते हैं मालदीव कहां है और इसकी आबादी कितनी है?
यह हिन्द महासागर में स्थित एक द्वीप देश है। इसे मालदीव द्वीप समूह के नाम से भी जाना जाता है जबकि इसका आधिकारिक नाम मालदीव गणराज्य है। द्वीप देश की भौगोलिकता देखें तो यह मिनिकॉय आईलैण्ड और चागोस द्वीपसमूह के बीच 26 प्रवाल द्वीपों की एक दोहरी चेन है। मालदीव का फैलाव भारत के लक्षद्वीप टापू की उत्तर-दक्षिण दिशा में है। भारत के पश्चिम तट से मालदीव की दूरी 300 नॉटिकल मील है। मालदीव जनसंख्या और क्षेत्र दोनों ही प्रकार से एशिया का सबसे छोटा देश है। इसकी आबादी महज 5,15,122 है।
भारत के साथ इसके रिश्ते कैसे रहे हैं?
भारत और मालदीव आपस में मानवीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और वाणिज्यिक संबंध साझा करते हैं। पिछले कई वर्षों में संबंध घनिष्ठ, सौहार्दपूर्ण और बहुआयामी रहे हैं। 1965 में मालदीव की आजादी के बाद उसे मान्यता देने और देश के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले पहले देशों में भारत था। 1965 से ही सैन्य, रणनीतिक, पर्यटन, आर्थिक, औद्योगिक, चिकित्सकीय और सांस्कृतिक जरूरतों के लिए मालदीव भारत पर आश्रित रहा है।
जब-जब मुसीबत आई भारत पहले बना मददगार
1976 में सामुद्रिक संधि के तहत भारत-मालदीव ने अपने सामुद्रिक सीमा क्षेत्र तय किए। दोनों ही सार्क के संस्थापक सदस्य भी हैं। 1981 में दोनों ने मुक्त व्यापार समझौता किया। दोनों देशों के रिश्तों में सबसे अहम योगदान सैन्य सहयोग का रहा है। इसमें नवंबर 1988 के ऑपरेशन कैक्टस की अक्सर चर्चा होती है जब श्रीलंका के पीपल्स लिबरेशन संगठन और मालदीव के विद्रोहियों ने 80 सशस्त्र लोगों के साथ देश का तख्ता पलट करना चाहा। वे राजधानी माले पर कब्जा करने में सफल रहे। तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम ने पाकिस्तान, सिंगापुर और श्रीलंका से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मदद देने से इनकार कर दिया।
अमेरिका मदद देने को राजी था, लेकिन इसमें दो से तीन दिन लग सकते थे। अंतत: उन्हें मित्र भारत ही नजर आया, जिससे मांगी गई मदद का तुरंत जवाब मिला। भारत ने 16 घंटे के भीतर 500 सैनिकों के साथ ऑपरेशन कैक्टस शुरू कर दिया। इस ऑपरेशन में कुछ घंटे लगे, माले को वापस कब्जे में लिया गया। इस ऑपरेशन में भारत के कई सैनिकों ने बलिदान भी दिया।
पर्यटन के क्षेत्र में मालदीव कहां खड़ा है?
मालदीव की अर्थव्यवस्था अपने पर्यटन क्षेत्र पर बहुत अधिक निर्भर है। पर्यटन यहां की विदेशी मुद्रा आय और सरकारी राजस्व का प्रमुख साधन है। पर्यटन सीधे तौर पर मालदीव की जीडीपी का लगभग चौथाई हिस्सा है और परोक्ष रूप से जीडीपी का बहुत बड़ा हिस्सा है। इसके साथ ही पर्यटन यहां प्रत्यक्ष रोजगार का भी बड़ा जरिया है।
मालदीव के लोगों के लिए रोजगार के अवसरों में पर्यटन का योगदान एक तिहाई से अधिक है। यदि पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों को भी शामिल कर लिया जाए, तो यहां के कुल रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) में पर्यटन क्षेत्र का योगदान लगभग 70% तक बढ़ जाएगा।
…तो भारत पर कैसे निभर है मालदीव का पर्यटन?
पिछले कुछ वर्षों में मालदीव जाने वाले पर्यटकों में भारतीयों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। 2018 में देश के पर्यटन बाजार में भारत की हिस्सेदारी लगभग 6.1% थी। इस साल भारत से 90,474 लोग मालदीव घूमने पहुंचे जो पर्यटकों के आगमन का 5वां सबसे बड़ा स्रोत था। 2019 में 2018 की तुलना में लगभग दोगुनी संख्या में भारत पर्यटक द्वीप देश पहुंचे जो अन्य देशों के मुकाबले दूसरा सबसे ज्यादा आंकड़ा था।
जब दुनिया महामारी के प्रकोप से गुजर रही थी ऐसे वक्त में 2020 में मालदीव के पर्यटन बाजार के लिए सबसे बड़ा स्रोत भारत बना। इस साल लगभग 63,000 भारतीयों ने मालदीव का दौरा किया था। 2021 और 2022 में भारत से 2.91 लाख और 2.41 लाख से अधिक पर्यटक मालदीव पहुंचे। इस तरह से दोनों वर्षों में मालदीव के पर्यटन बाजार में भारतीयों की भागीदारी क्रमश: 23% और 14.4% रही जिससे भारत शीर्ष बाजार भी बना रहा। 13 दिसंबर 2023 तक भारत 11.1% बाजार हिस्सेदारी के साथ मालदीव के लिए दूसरा प्रमुख स्रोत बाजार रहा। 13 दिसंबर तक 1,93,693 भारतीय सैलानियों ने मालदीव की यात्रा की।
तो अब क्यों बिगड़ने लगे दोनों देश के रिश्ते?
दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे मधुर रिश्तों में कड़वाहट 2023 के मालदीव आम चुनाव के बाद आई है। दरअसल, मालदीव में 9 और 30 सितंबर 2023 को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हुए थे। इस चुनाव में पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार और माले के मेयर मोहम्मद मोइजू ने भारत समर्थक और निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया और मालदीव के निर्वाचित राष्ट्रपति बने। इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान मोइजू की पार्टी ने ‘इंडिया आउट’ नाम से अभियान चलाया था जिसमें वहां मौजूद करीब 70 भारतीय सैनिकों को भी वापस भेजने का चुनावी वादा शामिल था।
सोलिह की हार के साथ ही यह आशंका जताई गई थी कि भारत और मालदीव के रिश्ते खराब हो सकते हैं क्योंकि मोइजू चीन समर्थक माने जाते हैं। चुनाव से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा भी था कि अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो चीन और मालदीव के रिश्तों का नया अध्याय शुरू होगा।
मोइजू के राष्ट्रपति बनने के बाद आशंकाएं हकीकत होने लगीं। इसका पहला उदाहरण तब देखने को मिला जब नवंबर 2023 में मालदीव के राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद मोइजू के कार्यालय ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि सरकार ने भारत से देश से अपनी सैन्य मौजूदगी वापस लेने के लिए कहा है। यहीं से दोनों देशों के मधुर रिश्ते में कड़वाहट घुल गई।
अभी क्या हुआ?
2 और 3 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंन्द्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप के दौरे पर गए थे। इस दौरे की कुछ तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर भी साझा की जिमसें समुद्री बीचों के आकर्षक नजारे भी देखने को मिले। इसी बीच मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों ने भारत और पीएम मोदी को लेकर अपमानजनक बयान दिया जिससे विवाद उत्पन्न हो गया। खुद देश में विपक्षियों की तीखी आलोचना के बीच मालदीव सरकार ने तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया। अब सोमवार को भारत सरकार ने आधिकरिक रूप से विरोध जताने के लिए मालदीव के उच्चाययुक्त को तलब किया।
