भारत के 2024 भारत रत्न पुरस्कार: सिर्फ सम्मान या राजनीतिक चाल?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2024 के चुनावी साल में 5 हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। आइए, इन हस्तियों के माध्यम से भाजपा द्वारा साधे गए संभावित समीकरणों का विश्लेषण करते हैं:

1. चौधरी चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री):

किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री के रूप में, चरण सिंह का पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली के जाट बहुल क्षेत्रों में प्रभाव है। इन क्षेत्रों में 40 लोकसभा सीटें हैं, जहां जाट मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी, भाजपा के साथ गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे हैं। जयंत का समर्थन भाजपा को इन क्षेत्रों में मजबूत कर सकता है।

2. पीवी नरसिम्हा राव (पूर्व प्रधानमंत्री):

विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए, मोदी सरकार ने कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री राव को भारत रत्न दिया।
यह कदम भाजपा के विपक्षी आरोपों का खंडन करने और कांग्रेस के भीतर मतभेद पैदा करने का प्रयास हो सकता है।

3. एमएस स्वामीनाथन (कृषि क्रांति के जनक):

दक्षिण भारत के प्रतिभावान व्यक्तित्व और कृषि क्रांति के जनक के रूप में, स्वामीनाथन को मरणोपरांत भारत रत्न देकर भाजपा ने दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।
यह कदम किसानों को भी साधने का प्रयास हो सकता है।

4. लालकृष्ण आडवाणी (पूर्व उप-प्रधानमंत्री):

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता आडवाणी को भारत रत्न देकर भाजपा ने अपने परंपरागत मतदाताओं को संतुष्ट करने का प्रयास किया है।
यह कदम विपक्ष के आरोपों को भी कमजोर करने का प्रयास हो सकता है।

5. कर्पूरी ठाकुर (बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री):

सामाजिक न्याय के नायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा ने बिहार में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग का समर्थन हासिल करने का प्रयास किया है।
यह कदम जदयू के साथ गठबंधन को मजबूत करने और बिहार में भाजपा की स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास भी हो सकता है।
निष्कर्ष:

यह स्पष्ट है कि 2024 के चुनावी साल में भारत रत्न पुरस्कारों का उपयोग भाजपा द्वारा विभिन्न राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए किया गया है। इन पुरस्कारों का चुनावी परिणामों पर कितना प्रभाव पड़ेगा, यह तो समय ही बताएगा।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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