नई दिल्ली: भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लगातार गोलीबारी कर रहा है। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के अंदर नौ ठिकानों पर अचूक 24 हमले किए और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन कार्रवाइयों में भारत ने अपने हवाई क्षेत्र का एक इंच भी उल्लंघन नहीं किया। राफेल लड़ाकू विमानों की मदद से जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालयों को सफलतापूर्वक तबाह किया गया।
खासकर बहावलपुर, जो अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगभग 100 किलोमीटर अंदर स्थित है, को भी भारतीय सेना ने निशाना बनाया और वहां स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को ध्वस्त कर दिया।
बुधवार से बहावलपुर का नाम लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है, क्योंकि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पाकिस्तान के जिन इलाकों पर स्ट्राइक की, उनमें यह प्रमुख था। बहावलपुर पाकिस्तान का एक महत्वपूर्ण शहर है और यह जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ था। भारतीय सेना की कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद का यह ठिकाना पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। इस स्ट्राइक में आतंकी सरगना मसूद अजहर तो बच गया, लेकिन उसके परिवार के 10 सदस्यों सहित कुल 14 लोग मारे गए हैं।
बहावलपुर क्यों बना भारतीय सेना का निशाना?
भारतीय सेना और विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग में दी गई जानकारी के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान के जिन नौ ठिकानों पर हमला किया, उनकी पहचान भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने की थी। भारत ने यह स्पष्ट किया है कि उसने केवल उन लोगों को निशाना बनाया जिन्होंने भारत को नुकसान पहुंचाया, अर्थात यह कार्रवाई सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ थी। इस लिहाज से जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर हमला करना भारत के लिए अत्यंत आवश्यक था, क्योंकि इस आतंकी संगठन ने भारत में कई बड़े आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया है, जिनमें 2001 का संसद हमला, उरी हमला, पठानकोट आर्मी बेस पर हमला और पुलवामा हमला जैसे जघन्य कृत्य शामिल हैं। यही कारण है कि भारतीय सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को नष्ट करने के लिए बहावलपुर को चुना।
लेफ्टिनेंट कर्नल (रिटायर्ड) जेएस सोढ़ी ने बताया कि बहावलपुर पाकिस्तान में स्थित जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, जिसे भारतीय सेना ने पूरी तरह से तबाह कर दिया है। इस बार भारतीय सेना ने आतंकियों के हेड क्वार्टर्स पर सीधी कार्रवाई की है और जैश-ए-मोहम्मद (बहावलपुर) और लश्कर-ए-तैयबा (मुरीदके) के ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। पिछली सर्जिकल स्ट्राइक में हमने उनके लॉन्चिंग पैड पर हमला किया था, इसलिए यह ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक जीत है।
भारतीय सेना ने बिना हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किए कैसे साधा निशाना?
2019 में भारतीय सेना ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी, उसमें सैनिकों को एलओसी पार करके पीओके के अंदर जाना पड़ा था, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना ने पूरी तरह से अपने क्षेत्र से ही पाकिस्तान के अंदर स्थित नौ ठिकानों को तबाह किया। यह सब राफेल लड़ाकू विमानों की उन्नत तकनीक की मदद से संभव हो पाया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बारे में बताते हुए लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी (रिटायर्ड) ने कहा कि इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भारत ने एक इंच भी अपने हवाई क्षेत्र का उल्लंघन नहीं किया। इस स्ट्राइक के लिए राफेल लड़ाकू जेट का इस्तेमाल किया गया, जिसमें बीवीआर (बियॉन्ड विजुअल रेंज) तकनीक मौजूद है। इस तकनीक के कारण पायलटों को अपने लक्ष्य तक जाने की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि वे कंप्यूटर स्क्रीन पर लक्ष्य को देखकर ही उस पर फायर कर सकते हैं। इसी तकनीक का इस्तेमाल करके भारतीय वायुसेना के पायलटों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
हैमर, स्कैल्प और सुसाइड ड्रोन से पाकिस्तान में मचाया विध्वंस
लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस सोढ़ी ने यह भी बताया कि भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में हैमर और स्कैल्प मिसाइलों का इस्तेमाल करके आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। ये दोनों मिसाइलें 250 किलोमीटर तक की रेंज में फायर कर सकती हैं और इन्हें राफेल जेट पर तैनात किया गया था। हैमर मिसाइल की खासियत यह है कि यह कंक्रीट की इमारतों को भी ध्वस्त करने में सक्षम है। इसके अतिरिक्त, इस ऑपरेशन में कामिकेज़ ड्रोन (सुसाइड ड्रोन) का भी इस्तेमाल किया गया। जापानी भाषा का यह शब्द ‘सुसाइड’ अर्थ व्यक्त करता है। यह ड्रोन एक आत्मघाती हमलावर की तरह काम करता है, लक्ष्य तक जाता है, उसका निरीक्षण करता है और फिर खुद को उड़ा लेता है, जिससे लक्ष्य पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। भारत ने इन स्वदेशी सुसाइड ड्रोन का निर्माण बेंगलुरु में किया है, और इन्हीं ड्रोनों ने नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पाकिस्तान में बहावलपुर का महत्व
बहावलपुर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का एक महत्वपूर्ण शहर है। आजादी के समय यह एक महत्वपूर्ण रियासत थी और बंटवारे के बाद सबसे पहले पाकिस्तान में शामिल हुई थी। यह नवाबों की धरती रही है। इतिहास के अनुसार, जब पाकिस्तान सरकार की आर्थिक स्थिति खराब थी, तो बहावलपुर ने मोहम्मद अली जिन्ना को सात करोड़ रुपये की मदद दी थी। हालांकि, बीबीसी न्यूज़ के अनुसार, पाकिस्तानी सेना बहावलपुर को उतना महत्वपूर्ण नहीं मानती और न ही वहां सेना की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत विकसित है। इसके बावजूद, भारत के लिए बहावलपुर एक महत्वपूर्ण लक्ष्य था, क्योंकि यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था, जिसे नष्ट करके भारत ने आतंकवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल की है।