परमाणु कगार पर भारत-पाक? US खुफिया रिपोर्ट में ‘तर्कहीन प्रतिक्रिया’ का डरावना सच!

Manisha singh
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परमाणु कगार पर भारत-पाक? US खुफिया रिपोर्ट में 'तर्कहीन प्रतिक्रिया' का डरावना सच!

नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों ने एक खतरनाक खुलासा किया है। इन दस्तावेजों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक पारंपरिक युद्ध भी परमाणु युद्ध में तब्दील हो सकता है, खासकर यदि कोई भी पक्ष “तर्कहीन प्रतिक्रिया” देता है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण परमाणु युद्ध की संभावना अभी भी कम है।

यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने हाल ही में कश्मीर को “जुगुलर वेन” (अत्यंत संवेदनशील हिस्सा) कहा है, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से ही मौजूद तनाव और बढ़ गया है।

आधुनिक मिसाइलें बढ़ा रहीं जोखिम

रिपोर्ट में आधुनिक मिसाइल प्रणालियों की गति को एक बड़ा खतरा बताया गया है। पाकिस्तानी शाहीन मिसाइल नई दिल्ली तक पहुंचने में लगभग 7 मिनट का समय ले सकती है, जबकि भारत की प्रलय मिसाइल इस्लामाबाद तक 6 मिनट से भी कम समय में पहुंच सकती है। इन मिसाइलों की तेज गति निर्णय लेने के लिए बहुत कम समय छोड़ती है, जिससे गलत आकलन या जल्दबाजी में प्रतिक्रिया का खतरा बढ़ जाता है।

पहले भी जताई गई है परमाणु युद्ध की आशंका:

खुफिया दस्तावेजों में अतीत की चेतावनियों का भी जिक्र किया गया है। 1981 की एक विशेष राष्ट्रीय खुफिया अनुमान रिपोर्ट में कहा गया था कि यदि भारत को यह महसूस होता है कि पाकिस्तान परमाणु हमला करने वाला है, तो भारत पहले हमला कर सकता है। इसी तरह, 1989 की एक अन्य रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि एक पारंपरिक संघर्ष भी अनियंत्रित रूप से परमाणु युद्ध में बदल सकता है।

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जल विवाद भी बढ़ा रहा तनाव

हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान के साथ जल-विभाजन समझौते को एकतरफा निलंबित कर दिया है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में हुए हालिया हमले की जिम्मेदारी ली है। इस फैसले से पाकिस्तान में पानी की कमी हो सकती है, जिसका सीधा असर कृषि और खाद्य सुरक्षा पर पड़ेगा।

पाकिस्तानी अखबार ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार, इस्लामाबाद ने इस कदम पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और चेतावनी दी है कि यदि भारत नदियों के पानी को रोकने या मोड़ने की कोशिश करता है, तो इसे “युद्ध का कार्य” माना जाएगा और पाकिस्तान इसका जवाब सभी पारंपरिक और गैर-पारंपरिक साधनों से देगा।

पाकिस्तान की तीखी प्रतिक्रिया

पाकिस्तान ने भारत के इस कदम को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि सिंधु जल समझौते को एकतरफा निलंबित नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान के लिए इस निर्णय के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि देश की लगभग 90% कृषि सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। पाकिस्तान ने पानी को राष्ट्रीय हित बताते हुए इसकी हर कीमत पर रक्षा करने की बात कही है।

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परमाणु हथियारों का बढ़ता जखीरा

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने पिछले एक साल में अपने परमाणु हथियारों के जखीरे में इजाफा किया है। पिछले साल भारत के पास 164 परमाणु हथियार थे, जो अब बढ़कर 172 हो गए हैं। इस लिहाज से भारत के पास अब पाकिस्तान से दो परमाणु हथियार ज्यादा हैं, जिसके पास 170 परमाणु हथियार हैं। हालांकि, सिपरी ने यह भी कहा है कि भारत के सभी परमाणु हथियार अभी स्टोर्ड हैं और उन्हें कहीं तैनात नहीं किया गया है।

किसके निशाने पर कौन?

पाकिस्तान के पास कम दूरी की मिसाइलें (नस्त्र, हत्फ, गजनवी, अब्दाली) हैं, जिनकी मारक क्षमता 60 से 320 किमी है। मध्यम दूरी की मिसाइलें (गौरी, शाहीन) 900 से 2700 किमी तक मार कर सकती हैं। ये मिसाइलें दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, भोपाल, नागपुर और लखनऊ जैसे भारतीय शहरों को निशाना बना सकती हैं।

वहीं, भारत के पास पृथ्वी (350 किमी), अग्नि-I (700 किमी), अग्नि-II (2000 किमी), अग्नि-III (3000 किमी) और अग्नि-V (5000-7500 किमी) जैसी मिसाइलें हैं, जो पूरे पाकिस्तान के शहरों को अपनी जद में ले सकती हैं। परमाणु युद्ध की स्थिति में ये मिसाइलें रावलपिंडी, लाहौर, इस्लामाबाद, नवशेरा और कराची जैसे प्रमुख पाकिस्तानी शहरों को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

वैश्विक परिदृश्य

सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार, रूस (4380), अमेरिका (3708) और चीन (500) के पास सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं। भारत इस सूची में 172 हथियारों के साथ छठे स्थान पर है। परमाणु हथियारों को कम करने की अंतर्राष्ट्रीय संधियों के कमजोर पड़ने और रूस-यूक्रेन व इजरायल-गाजा जैसे संघर्षों के कारण वैश्विक स्तर पर परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ रहा है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी बनी हुई है।

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सिपरी के निदेशक डैन स्मिथ का कहना है कि दुनिया इस समय इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रही है, जो कभी भी एक बड़े युद्ध की ओर ले जा सकता है।

भारत और पाकिस्तान की परमाणु नीति

भारत ने 1999 में ‘नो फर्स्ट यूज’ (पहले इस्तेमाल नहीं) की परमाणु नीति घोषित की थी, जिसका अर्थ है कि भारत परमाणु हथियारों का पहला इस्तेमाल नहीं करेगा। वहीं, पाकिस्तान की ऐसी कोई स्पष्ट नीति नहीं है, और यह उसके नेताओं और सैन्य अधिकारियों पर निर्भर करता है कि वे कब और किस स्थिति में परमाणु हमला करें।

अमेरिकी खुफिया दस्तावेजों का यह खुलासा भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और परमाणु युद्ध के खतरे की गंभीरता को दर्शाता है। क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों देशों को संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है।

 

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