अंतरराष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस: प्रकृति के सफाईकर्मी का संरक्षण
नई दिल्ली: हर साल सितंबर के पहले शनिवार को मनाया जाने वाला ‘अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस’ हमें प्रकृति के एक महत्वपूर्ण, लेकिन तेजी से विलुप्त हो रहे पक्षी, गिद्ध के बारे में सोचने का अवसर देता है। यह दिन न केवल गिद्धों के महत्व पर प्रकाश डालता है, बल्कि उनके अस्तित्व पर मंडरा रहे खतरे के प्रति भी हमें सचेत करता है।
गिद्धों का महत्व: प्रकृति के सच्चे सिपाही
गिद्ध, जिन्हें अक्सर प्रकृति का ‘सफाईकर्मी’ कहा जाता है, हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मृत जानवरों के शवों को खाकर वातावरण को साफ रखते हैं और हैजा, एन्थ्रेक्स जैसे खतरनाक रोगों को फैलने से रोकते हैं। एक स्वस्थ गिद्ध आबादी मृत पशुओं का तेजी से निपटान करती है, जिससे जंगली जानवरों और यहां तक कि इंसानों में भी संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। गिद्धों की अनुपस्थिति से मृत जानवरों के सड़ने और बीमारियों के प्रसार का खतरा बढ़ सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ सकता है।
विलुप्ति की कगार पर गिद्ध: डाइक्लोफेनैक का घातक प्रभाव
पिछले कुछ दशकों में, गिद्धों की आबादी में 97% तक की भारी गिरावट आई है। इसका सबसे बड़ा कारण एक दर्द निवारक दवा ‘डाइक्लोफेनैक’ है। यह दवा पशुओं को दी जाती थी, और जब ये पशु मर जाते थे, तो उनके मांस में बची हुई दवा गिद्धों के लिए जहर का काम करती थी। डाइक्लोफेनैक के संपर्क में आने से गिद्धों के गुर्दे खराब हो जाते थे और उनकी मौत हो जाती थी। इस घातक प्रभाव को देखते हुए, भारत सरकार ने 2006 में पशु चिकित्सा में डाइक्लोफेनैक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालाँकि, यह दवा अभी भी कुछ जगहों पर अवैध रूप से इस्तेमाल हो रही है, जिससे गिद्धों के लिए खतरा बना हुआ है।
संरक्षण के प्रयास और उम्मीद की किरण
गिद्धों को बचाने के लिए भारत और विश्व स्तर पर कई पहलें की गई हैं। सरकार ने डाइक्लोफेनैक पर प्रतिबंध लगाया है और गिद्ध संरक्षण और प्रजनन केंद्र स्थापित किए हैं। 2025 में, असम में भारत का पहला ‘गिद्ध ज्ञान पोर्टल’ भी लॉन्च किया गया है, जो गिद्धों के बारे में जानकारी और जागरूकता बढ़ाने का काम करेगा। इसके अलावा, मेलॉक्सिकैम जैसी सुरक्षित दवाएं डाइक्लोफेनैक के विकल्प के रूप में बढ़ावा दी जा रही हैं।
आओ लें संरक्षण और संवर्धन की शपथ
अंतर्राष्ट्रीय गिद्ध जागरूकता दिवस के अवसर पर, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन महत्वपूर्ण पक्षियों के संरक्षण के लिए शपथ लें। हमें डाइक्लोफेनैक के अवैध उपयोग के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए और गिद्धों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करनी चाहिए। गिद्धों का अस्तित्व न केवल एक प्रजाति का सवाल है, बल्कि यह हमारे पूरे पारिस्थितिक तंत्र और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ा है। आइए, मिलकर इन प्राकृतिक सफाईकर्मियों को विलुप्त होने से बचाएं और एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करें।