नई दिल्ली। इजरायल-ईरान युद्ध: इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और संभावित युद्ध की आशंका ने न केवल मध्य पूर्व को चिंता में डाल दिया है, बल्कि भारत पर भी इसके गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में इजरायल पर हमले की धमकी दी है, जिसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष की संभावना बढ़ गई है।
भारत पर संभावित प्रभाव
यदि इजरायल और ईरान के बीच युद्ध होता है, तो भारत को निम्नलिखित तीन मुख्य क्षेत्रों में नुकसान उठाना पड़ सकता है:
व्यापारिक संबंधों पर असर:
भारत और ईरान के बीच व्यापारिक संबंध लंबे समय से मजबूत हैं। भारत ईरान को बासमती चावल और चाय की पत्ती का बड़ा निर्यात करता है। यदि युद्ध छिड़ता है, तो व्यापार में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे भारतीय किसानों और व्यापारियों को आर्थिक नुकसान होगा।
कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि:
ईरान से भारत में सनफ्लावर ऑयल का आयात होता है। अगर ईरान युद्ध में उलझता है, तो यह आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित करेगा और तेल की कीमतों में भारी वृद्धि कर सकता है। इससे भारत में खाद्य वस्तुओं और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ सकती हैं।
सुरक्षा और कूटनीतिक स्थिति:
युद्ध के दौरान भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यह कूटनीतिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है, विशेष रूप से उन देशों के साथ जो मध्य पूर्व में सक्रिय हैं।
खामेनेई का बयान
खामेनेई ने 7 अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के हमले को जायज ठहराते हुए कहा कि “अपनी धरती की रक्षा का अधिकार सभी को है।” उन्होंने मुसलमानों से एकजुट होने का आह्वान किया और कहा कि ईरान, हिज्बुल्लाह और हमास का समर्थन जारी रहेगा।
भारत को इस संघर्ष की गंभीरता को समझते हुए अपनी तैयारियों को मजबूत करने की आवश्यकता है। संभावित आर्थिक और कूटनीतिक संकटों के लिए उचित उपाय करने से ही भारत इस कठिन परिस्थिति का सामना कर सकता है।