लुधियाना, पंजाब: पंजाब के लुधियाना जिले में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला और उसकी तीन बेटियों को चोरी के शक में तालिबानी सजा दी गई। इन चारों के चेहरे पर कालिख पोती गई और गले में “मैं चोर हूं” लिखे प्लेकार्ड लटकाए गए। इसके बाद इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया। यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय को भी उजागर करती है।
पुलिस के अनुसार, यह घटना एक होजरी फैक्ट्री में घटी, जहां महिला और उसकी तीन बेटियां काम करती थीं। फैक्ट्री मालिक परविंदर सिंह, मैनेजर मनप्रीत सिंह और मुहम्मद कैश ने इन महिलाओं पर कपड़े चुराने का शक जताया। आरोप है कि इन व्यक्तियों ने महिलाओं को फैक्ट्री में ही रोक लिया, उनके चेहरे पर कालिख पोती और गले में “मैं चोर हूं” और “मैं अपनी गलती मानती हूं” लिखे प्लेकार्ड लटका दिए। इस पूरे वाकये का वीडियो रिकॉर्ड किया गया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया।
जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो यह घटना लोगों के बीच आक्रोश का कारण बन गई। घटना के बाद पुलिस हरकत में आई और एसीपी दविंदर चौधरी ने मामले की जांच शुरू की। परविंदर सिंह और एक अन्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, और इस मामले में फैक्ट्री मालिक, मैनेजर और वीडियो बनाने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
पंजाब राज्य महिला आयोग का संज्ञान
इस मामले ने पंजाब राज्य महिला आयोग का ध्यान भी आकर्षित किया। आयोग के अध्यक्ष कंवरदीप सिंह ने इसे “तालिबानी सजा” बताते हुए स्वतः संज्ञान लिया और इसे बच्चों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन करार दिया। उन्होंने लुधियाना पुलिस कमिश्नर को मामले में सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। आयोग ने 23 जनवरी 2025 तक इस मामले की कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
इसके अलावा, आयोग ने लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर को भी निर्देश दिया कि फैक्ट्री मालिक और अन्य शामिल लोगों के खिलाफ चाइल्ड लेबर एक्ट, 1986 के तहत कार्रवाई की जाए और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट दी जाए।
सामाजिक प्रतिक्रिया और आक्रोश
सोशल मीडिया पर इस घटना के वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया है। कई लोग इस कृत्य की निंदा कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इसे महिलाओं और बच्चों के खिलाफ एक घृणित कृत्य बताया और इसे समाज में व्याप्त असमानता और शोषण का उदाहरण बताया।
पंजाब राज्य महिला आयोग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है और कहा है कि यह घटना बेहद शर्मनाक है। उन्होंने जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
मानवाधिकारों और न्याय की ओर एक कदम
यह घटना न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय को भी उजागर करती है। पंजाब में कामकाजी महिलाओं और बच्चों को इस तरह की सजा देना यह दर्शाता है कि समाज में अभी भी कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि समाज में अभी भी बहुत कुछ सुधारने की आवश्यकता है, खासकर महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा के मामले में।
उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। इसके साथ ही, यह घटना समाज को यह सिखाती है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी गलती साबित करने के लिए ऐसी अमानवीय सजा नहीं दी जा सकती।
आयोग और प्रशासन का रुख
पंजाब राज्य महिला आयोग की कार्रवाई को देखते हुए यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 23 जनवरी तक रिपोर्ट की मांग की है और डिप्टी कमिश्नर से यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि चाइल्ड लेबर एक्ट के तहत कार्यवाही की जाए।