नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की स्मृति में एक मेमोरियल बनाने के लिए मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर में डेढ़ एकड़ जमीन चिह्नित की है। यह जमीन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के ठीक बगल में स्थित है, जो भारत के नेताओं के लिए समर्पित एक ऐतिहासिक स्थल है। इस पहल से मनमोहन सिंह के परिवार के लिए एक नई दिशा खुली है, हालांकि, सरकार ने परिवार से कहा है कि इस जमीन को आवंटित करने से पहले उन्हें एक ट्रस्ट बनाना होगा।
मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जमीन आवंटन
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम भारतीय राजनीति में हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा, खासकर उनकी अर्थव्यवस्था सुधारों और राजनीतिक धैर्य के लिए। अब मोदी सरकार ने उनकी स्मृति में एक मेमोरियल बनाने के लिए राष्ट्रीय स्मृति परिसर में डेढ़ एकड़ जमीन चिह्नित की है। यह स्थल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के पास स्थित है, जो भारतीय राजनीति के महान हस्तियों के प्रति सम्मान प्रदर्शित करता है।
आवास और शहरी मंत्रालय ने इस संबंध में मनमोहन सिंह के परिवार से संपर्क किया है। अधिकारियों के अनुसार, जमीन अलॉट करने के लिए परिवार को एक ट्रस्ट बनाना होगा। बिना ट्रस्ट के यह जमीन आवंटित नहीं की जा सकती। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए परिवार को ट्रस्ट के गठन पर विचार करने के लिए कहा गया है।
मनमोहन सिंह के परिवार से संपर्क
इस महीने की शुरुआत में अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया था और इस स्थल को मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए चिह्नित किया था। इस दौरान मनमोहन सिंह के परिवार को भी इस जमीन को देखने के लिए आमंत्रित किया गया है। हालांकि, अभी तक परिवार की ओर से इस बारे में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। परिवार के सदस्य इस बात पर विचार कर रहे हैं कि वे किस प्रकार का मेमोरियल बनाना चाहते हैं।
मनमोहन सिंह के परिवार के निर्णय का इंतजार किया जा रहा है, और साथ ही यह भी देखा जाएगा कि वे इस प्रस्ताव पर किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं। परिवार के लोगों की बैठकें जारी हैं, और वे इस मामले पर अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दे रहे हैं।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप
मनमोहन सिंह के निधन के बाद इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे, खासकर इस मुद्दे को लेकर। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार ने पहले इस मामले को नजरअंदाज किया और अब जब एक मेमोरियल का प्रस्ताव सामने आया है, तो इस पर राजनीति हो रही है।
वहीं, बीजेपी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह का सम्मान हमेशा किया गया है, और उनके अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के अन्य बड़े नेताओं की मौजूदगी इसका प्रमाण है। राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था, और इसके बाद यह मामला राजनीतिक रूप से तूल पकड़ गया।
कांग्रेस के आरोप और बीजेपी की सफाई
कांग्रेस पार्टी के नेता इस पर लगातार आलोचना कर रहे हैं कि मनमोहन सिंह के योगदान को सरकार द्वारा उचित रूप से सम्मानित नहीं किया गया। वहीं, बीजेपी ने इसे एक गैरजरूरी राजनीतिक विवाद बताया और कहा कि यह समय राजनीति से ऊपर उठकर पूर्व प्रधानमंत्री के योगदान को सम्मानित करने का है।
कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने मनमोहन सिंह के योगदान को नकारते हुए उनका सम्मान करने में देरी की है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति में उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।
स्मृति स्थल का महत्व
राष्ट्रीय स्मृति परिसर में जो भी स्मृति स्थल बनाए जाते हैं, उनका महत्व भारतीय राजनीति में हमेशा बना रहता है। यह परिसर भारतीय गणराज्य के ऐतिहासिक नेताओं और उनके योगदान को सम्मान देने का स्थल है। अब, मनमोहन सिंह का नाम भी इस सम्माननीय सूची में जुड़ने जा रहा है, जो उनके भारतीय राजनीति में किए गए योगदान का प्रतीक होगा।