विजयादशमी पर मोहन भागवत: हिंदुओं को संगठित होने की आवश्यकता, छवि बचाने की चेतावनी

Dharmender Singh Malik
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी पर नागपुर में दिए अपने संबोधन में भारत की छवि को बचाने की अपील की। उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र करते हुए संगठित होने की आवश्यकता पर जोर दिया। जानें उनके संदेश और देश में चल रहे विभाजन की चिंता के बारे में।”

नागपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के अवसर पर नागपुर में शस्त्र पूजा की। इस समारोह में उन्होंने हिंदुओं को एकजुट होने का संदेश दिया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का जिक्र किया। भागवत ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि असंगठित रहना अत्याचारों को आमंत्रित करता है।

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भागवत ने कहा, “बांग्लादेश की हिंसा ने विश्व के हिंदू समाज को चेताया है कि हमें संगठित और सशक्त होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि कुछ शक्तियां, जिनका निजी स्वार्थ प्रभावित होता है, वे भारत को मजबूत होते हुए नहीं देखना चाहतीं। ये शक्तियां भारत की छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही हैं, जबकि भारत अपनी विविधता और संस्कृति के बल पर विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान बना रहा है।

आरएसएस के स्थापना दिवस के शताब्दी वर्ष का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि संघ पिछले 99 वर्षों से भारत को मजबूत बनाने की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल अतिथियों का भी स्वागत किया, जिसमें इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के राधाकृष्णन शामिल थे।

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भागवत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां के कट्टरपंथियों से खतरा अभी भी बना हुआ है। उन्होंने अवैध घुसपैठ को भी गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि इससे भारत में जनसंख्या असंतुलन उत्पन्न हो रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

उन्होंने कहा, “आज भारत में जाति, भाषा और प्रांत के आधार पर विभाजन की कोशिश की जा रही है। यह सामाजिक समरसता के लिए खतरा है।” भागवत ने बिना कारण हिंसा और कट्टरपन की बढ़ती घटनाओं की निंदा की और इसे अराजकता करार दिया।

भागवत ने यह भी कहा कि विविधता के बावजूद, हमें एकजुट होकर देशहित में कार्य करना चाहिए। उन्होंने आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती और पुण्य श्लोक अहिल्या देवी होल्कर की जयंती का स्मरण करते हुए उनके योगदान को सराहा।

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इस प्रकार, मोहन भागवत ने अपने संबोधन में एकजुटता, सुरक्षा और सामाजिक समरसता के महत्व पर जोर दिया, और कहा कि सभी को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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