नई दिल्ली: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सौंपने का आग्रह किया है। एमआरएम का यह निर्णय सामाजिक सद्भाव और भाईचारे को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एमआरएम का अभियान:
एमआरएम अगले महीने से एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगा, जिसमें मुस्लिम समाज को ज्ञानवापी मामले की सच्चाई से अवगत कराया जाएगा। इस अभियान में यह बताया जाएगा कि कैसे आक्रांताओं ने हिंदू आस्था के केंद्रों को नष्ट किया और ज्ञानवापी उसी का एक उदाहरण है।
एमआरएम का तर्क:
एमआरएम का मानना है कि मुस्लिम समाज को अब उन आक्रांताओं के साथ खुद को नहीं जोड़ना चाहिए। इसके बजाय, उन्हें ज्ञानवापी जैसे स्थानों को हिंदुओं को सौंपकर शांति और सद्भाव का नया रास्ता बनाना चाहिए। एमआरएम का यह भी कहना है कि उक्त विवादित स्थल से टूटी-फूटी और सलामत मूर्तियां मिली हैं, ऐसे स्थानों पर नमाज पढ़ना जायज नहीं है।
अभियान का स्वरूप:
यह अभियान जमीनी स्तर पर चलाया जाएगा और इसमें समाज के प्रबुद्ध और राष्ट्रीय स्तर के प्रभावी लोगों को शामिल किया जाएगा। एमआरएम के राष्ट्रीय पदाधिकारी इस अभियान में भाग लेंगे और जिला स्तर पर संगठन जुटेगा।
एमआरएम के बौद्धिक, युवा, मदरसा और महिला प्रकोष्ठ भी अपने-अपने स्तर पर इस अभियान को चलाएंगे।
एमआरएम की भूमिका:
एमआरएम ने राम मंदिर मुद्दे, तीन तलाक और अनुच्छेद-370 जैसे मुद्दों पर मुस्लिम समाज के जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एमआरएम ने इन मुद्दों पर संवेदनशील दिनों में देश में सद्भाव बनाए रखने में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।
एमआरएम का आग्रह:
एमआरएम चाहता है कि आपसी भाईचारा बना रहे और समस्याओं का समाधान बातचीत के जरिए हो। एमआरएम का यह भी कहना है कि देशभर में कई मस्जिदें और मुस्लिम धार्मिक स्थल हैं, जिन पर हिंदू समाज दावा नहीं कर रहा है। इसलिए, एमआरएम मुस्लिम समाज से ज्ञानवापी जैसे विवादित स्थलों को हिंदुओं को सौंपकर सद्भाव का नया रास्ता निकालने का आग्रह करता है।