नॉर्थ-ईस्ट को मिली नई पहचान: 78 साल बाद मिजोरम की राजधानी आइजोल तक पहुंचा रेल नेटवर्क, बइरबी-साइरंग ट्रैक बना इंजीनियरिंग का बेमिसाल नमूना

Dharmender Singh Malik
5 Min Read

आइजोल (मिजोरम): भारत की आजादी के 78 साल बाद भी देश का एक बड़ा हिस्सा, नॉर्थ-ईस्ट, विकास की मुख्यधारा से कटा हुआ था। खासतौर पर मणिपुर और मिजोरम जैसे राज्य दशकों तक रेल नेटवर्क से दूर रहे। लेकिन अब यह तस्वीर बदल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी है, जिसके परिणामस्वरूप मिजोरम की राजधानी आइजोल तक रेल नेटवर्क पहुंच गया है। बइरबी-साइरंग रेल ट्रैक का निर्माण भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग का एक अद्वितीय नमूना बनकर उभरा है।

78 साल का लंबा इंतजार: विकास से दूर रहा नॉर्थ-ईस्ट

आजादी के बाद, लोगों को उम्मीद थी कि देश का समान विकास होगा, लेकिन नॉर्थ-ईस्ट को लंबे समय तक उपेक्षा का शिकार होना पड़ा। राजनीतिक विश्लेषकों और स्थानीय लोगों का मानना है कि पिछली सरकारों की हठधर्मिता के कारण यह क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से कटा रहा। इस दौरान न तो सड़कों का जाल बिछाया गया और न ही रेल नेटवर्क का विस्तार हुआ। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आने के बाद इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी पर विशेष ध्यान दिया गया। पीएम मोदी ने नॉर्थ-ईस्ट के दर्द को समझा और इसे देश की मुख्यधारा से जोड़ने का संकल्प लिया।

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चुनौतियों से भरा 8000 करोड़ का प्रोजेक्ट

निरंजन देव, जन संपर्क अधिकारी लुमडिंग रेल डिवीजन,एनएफआर

लुमडिंग रेल डिवीजन के जनसंपर्क अधिकारी निलंजन देव के अनुसार, आइजोल तक रेल नेटवर्क पहुंचाना किसी चमत्कार से कम नहीं था। 8000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले इस प्रोजेक्ट में रेलवे के इंजीनियरों को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मिजोरम का पहाड़ी इलाका और साल में 8 महीने तक होने वाली लगातार बारिश ने निर्माण कार्य को बेहद मुश्किल बना दिया था।

निरंजन देव बताते हैं, “यह सिर्फ एक साधारण रेलवे प्रोजेक्ट नहीं है, यह आइजोल और मिजोरम के लोगों की उम्मीद है जो अब साकार होने जा रही है। दुर्गम पहाड़ियों के बीच 55 सुरंगें (टनल) और 100 से अधिक पुलों का निर्माण करना बेहद कठिन था। इन चार महीनों में निर्माण सामग्री को पहुंचाना भी एक बड़ी चुनौती थी।”

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विकास की नई राह: पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

बइरबी-साइरंग के 52 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक के शुरू होने से मिजोरम की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलने की उम्मीद है। इस रेल नेटवर्क से न केवल आवागमन आसान होगा, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।

पीआरओ निरंजन देव ने बताया कि मिजोरम सरकार और भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (IRCTC) के बीच एक समझौता हुआ है, जिसके तहत IRCTC मिजोरम में पर्यटन को बढ़ावा देगा। बेहतर कनेक्टिविटी के साथ अगर मल्टीनेशनल कंपनियां भी यहां निवेश करती हैं, तो यह क्षेत्र तेजी से विकास करेगा। उन्होंने कहा, “यह रेल की पटरी मिजोरम के विकास और यहां के लोगों की आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने में अहम योगदान देगी।”

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भविष्य की योजनाएं: सिर्फ शुरुआत है आइजोल तक का सफर

निरंजन देव के मुताबिक, यह सिर्फ शुरुआत है। केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे का लक्ष्य नॉर्थ-ईस्ट की सभी राजधानियों को रेल नेटवर्क से जोड़ना है। इसके साथ ही एक बड़ी परियोजना पर भी काम चल रहा है, जिसका उद्देश्य मिजोरम को नेपाल और म्यांमार से जोड़ना है। इस पर सर्वे का काम जारी है।
पीएम मोदी इस बहुप्रतीक्षित बइरबी-साइरंग रेल ट्रैक का लोकार्पण सितंबर में करने जा रहे हैं। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ मिजोरम के लोगों के लिए वरदान साबित होगा, बल्कि यह दुनिया को भी दिखाएगा कि भारत किस तरह दुर्गम क्षेत्रों में भी विकास का परचम लहराने में सक्षम है और विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता रखता है।

आइजोल(मिजोरम) से लौटकर प्रदीप कुमार रावत

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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