नई दिल्ली: भारत सरकार आने वाले समय में इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने की प्रक्रिया को सरल और सुगम बनाने जा रही है। इसके तहत, अब टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) की मदद लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार द्वारा किए जा रहे इस सुधार के बाद, टैक्स कानूनों की जटिलता और प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा, जिससे हर व्यक्ति आसानी से अपना रिटर्न भर सकेगा।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रस्तावित सुधार
इस कदम के तहत, सरकार ने टैक्स कानूनों की भाषा और प्रक्रियाओं को सुधारने की योजना बनाई है। इस पहल का उद्देश्य टैक्स विवादों को कम करना, प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाना और इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग को सुगम बनाना है। सरकार ने इस उद्देश्य के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है, जो इनकम टैक्स एक्ट 1961 की समीक्षा और संशोधन करेगी।
टैक्स कानूनों की भाषा को सरल बनाने पर जोर
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जटिल भाषा को बदलने की योजना है। सरकार इसे गैर-तकनीकी और आसान भाषा में लाने की दिशा में काम कर रही है। इसके साथ ही, टैक्स रिटर्न फाइलिंग से संबंधित फॉर्मूला और टेबल को तार्किक और समझने में आसान बनाने का प्रयास किया जाएगा। हालांकि, इन प्रस्तावों में टैक्स रेट्स या नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा।
टैक्स विवादों की समस्या और उनका समाधान
भारत में वर्तमान में 123 बिलियन डॉलर (करीब 10.5 लाख करोड़ रुपये) के टैक्स विवाद लंबित हैं, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इन विवादों को कम करने के लिए सरकार टैक्स कानूनों को पारदर्शी और सरल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहले ही इस संबंध में घोषणा की थी कि टैक्स कानूनों का व्यापक रिव्यू किया जाएगा।
टैक्स रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में सुधार
सरकार का उद्देश्य है कि अब टैक्सपेयर्स बिना किसी पेशेवर की मदद के, जैसे CA, अपना टैक्स रिटर्न खुद भर सकें। इसके लिए, रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने के लिए अतिरिक्त फॉर्म्स की संख्या कम की जाएगी। यह कदम उन व्यक्तियों के लिए राहतकारी होगा, जिनके पास पेशेवर मदद लेने का समय या साधन नहीं है।
बजट 2025 में होंगे महत्वपूर्ण बदलाव
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार जनवरी 2025 में इस रिपोर्ट को पब्लिक कंसलटेशन के लिए जारी कर सकती है। इसके बाद, प्राप्त सुझावों और सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए, अंतिम प्रस्ताव 1 फरवरी 2025 को बजट में पेश किया जाएगा। यह टैक्स कानूनों को अधिक अनुकूल और टैक्सपेयर्स-फ्रेंडली बनाने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
फेसलेस और फ्रेंडली टैक्स प्रक्रिया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे टैक्सपेयर्स के साथ फेसलेस, फेयर और फ्रेंडली दृष्टिकोण अपनाएं। इसके अंतर्गत, टैक्स नोटिस की भाषा को सरल और गैर-तकनीकी बनाने पर जोर दिया जाएगा, ताकि टैक्सपेयर्स इसे आसानी से समझ सकें और सही तरीके से जवाब दे सकें। इस पहल का उद्देश्य यह है कि टैक्सपेयर्स को वकील या अन्य पेशेवरों की मदद पर निर्भर न रहना पड़े।
रिटर्न फाइलिंग को सुलभ बनाने के लाभ
इन सुधारों से न केवल टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, बल्कि टैक्स अनुपालन में भी सुधार होगा। सरल और पारदर्शी टैक्स कानूनों से विवादों में कमी आएगी और सरकार के राजस्व संग्रह में भी सुधार होगा। इस कदम से यह उम्मीद जताई जा रही है कि टैक्स सिस्टम में और अधिक सुधार होगा और नागरिकों के लिए यह प्रक्रिया आसान हो जाएगी।