नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए कुछ नए और कड़े नियम लागू किए हैं। इन नियमों का सीधा असर उन लोगों पर पड़ेगा जो अपनी मासिक किस्त (EMI) समय पर नहीं भर पाते। RBI का मकसद रिकवरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा करना और समय पर भुगतान को बढ़ावा देना है।
क्या है RBI का नया नियम?
RBI के नए निर्देशों के अनुसार, यदि कोई लोनधारक अपनी EMI समय पर नहीं चुकाता है, तो उसे हर महीने ₹2,000 तक का फाइन देना पड़ सकता है। यह फाइन EMI की रकम और देरी की अवधि के आधार पर तय होगा। इस नियम का मुख्य उद्देश्य बैंकों को समय पर भुगतान दिलाना और डिफॉल्ट के मामलों को कम करना है।
जुर्माने की गणना कैसे होगी? जुर्माना EMI की राशि और देरी के दिनों के हिसाब से तय किया जाएगा। आमतौर पर, ₹1,000 से ₹2,000 तक का फाइन प्रति EMI चूक पर लगाया जा सकता है। यह फाइन सीधे अगली EMI में जोड़ दिया जाएगा या अलग से वसूला जाएगा, जिसकी सूचना ग्राहक को SMS या ईमेल के जरिए दी जाएगी।
EMI चूकने पर और क्या हो सकता है?
यदि कोई ग्राहक लगातार EMI चूकता रहता है, तो बैंक उसे डिफॉल्टर घोषित कर सकता है। डिफॉल्टर बनने से ग्राहक का CIBIL स्कोर बुरी तरह प्रभावित होगा, जिससे भविष्य में नया लोन लेना बेहद मुश्किल हो जाएगा। साथ ही, यदि जुर्माना भी समय पर नहीं भरा गया तो बैंक उस पर भी ब्याज लगा सकता है, जिससे कुल लोन लागत और बढ़ जाएगी।
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ग्राहकों के अधिकार और सुरक्षा हुई सुनिश्चित
RBI ने इस बात पर भी जोर दिया है कि अब कोई भी बैंक या उसका एजेंट ग्राहक को परेशान नहीं कर सकता। रिकवरी एजेंट्स द्वारा धमकी देना, अभद्र भाषा का प्रयोग करना, या घर जाकर अपमानित करना अब सख्त मना है। यदि कोई एजेंट ऐसा करता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी बैंक की होगी और बैंक पर भी कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।
- बैंक या एजेंट सुबह 7 बजे से पहले और रात 7 बजे के बाद ग्राहकों से संपर्क नहीं कर सकते।
- रविवार या किसी भी छुट्टी के दिन घर आकर परेशान करना भी प्रतिबंधित है।
- बिना नोटिस या अनुमति के घर में घुसना, सामान उठाना या जोर-जबरदस्ती करना अब अपराध माना जाएगा।
अगर EMI मिस हो जाए तो क्या करें?
अगर किसी महीने आपकी EMI नहीं कट पाई है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बैंक तुरंत आपकी संपत्ति जब्त नहीं करेगा। आपको पहले 90 दिन तक नोटिस और रिमाइंडर भेजे जाएंगे। इस दौरान आप बैंक से बात करके विकल्प निकाल सकते हैं, जैसे:
- लोन की अवधि बढ़वाना
- EMI की रकम घटवाना
- कुछ महीनों तक राहत लेना (मोरेटोरियम)
बैंक भी चाहता है कि लोन वापस मिले, इसलिए बातचीत का रास्ता हमेशा खुला होता है।
नीलामी और वसूली की प्रक्रिया हुई पारदर्शी
यदि लगातार कई किश्तें नहीं दी जाती हैं, तो भी बैंक आपकी संपत्ति तुरंत जब्त नहीं कर सकता। इसके लिए बैंक को पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है, फिर कानूनी प्रक्रिया शुरू करनी होती है। नीलामी के लिए भी बैंक को 30 दिन पहले नोटिस देना होगा और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से करनी होगी। यदि नीलामी में प्रॉपर्टी की कीमत ज्यादा मिलती है, तो बची रकम ग्राहक को वापस करनी होगी।
लोन लेने वालों के लिए जरूरी सुझाव
- EMI की तारीख याद रखें और ऑटो डेबिट सुविधा का इस्तेमाल करें।
- लोन लेते समय अपनी भुगतान क्षमता को ध्यान में रखकर ही EMI तय करें।
- किसी भी इमरजेंसी के लिए सेविंग अकाउंट में बैकअप रकम रखें।
- बैंक की EMI रिमाइंडर सर्विस को एक्टिव रखें।
- यदि किसी महीने किस्त भरने में दिक्कत हो, तो बैंक से तुरंत संपर्क करें और समाधान तलाशें।
RBI का मानना है कि इन सख्त नियमों से लोग समय पर किस्त चुकाएंगे और बैंकों का बकाया भी सुरक्षित रहेगा। साथ ही, ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा होगी और उन्हें मानसिक उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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(डिस्क्लेमर: यह जानकारी इंटरनेट प्लेटफॉर्म से ली गई है। कृपया कोई भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने बैंक या RBI की आधिकारिक वेबसाइट से जानकारी की पुष्टि अवश्य करें।)
