ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब, भारत) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था।
ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर भारत में काफी विवाद रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि यह अभियान पंजाब में शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक था, जबकि अन्य का मानना है कि यह अभियान अनावश्यक था और इसने सिख समुदाय के बीच भारी आक्रोश पैदा किया।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद खालिस्तान की मांग और भी जोरदार हो गई। 1985 में जरनैल सिंह भिंडरावाले की हत्या के बाद भी खालिस्तान समर्थक हिंसा जारी रही। 1987 में कन्सटेबल बलजीत सिंह की हत्या के बाद दिल्ली में हुए दंगों में सैकड़ों लोग मारे गए।
खालिस्तान की मांग का कोई ठोस आधार नहीं है। पंजाब एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है और सभी धर्मों के लोगों को यहां समान अधिकार प्राप्त हैं। खालिस्तान की मांग केवल कुछ लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का परिणाम है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार और खालिस्तान की मांग पंजाब के इतिहास में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हैं। इन घटनाओं ने पंजाब में हिंसा और अस्थिरता को बढ़ावा दिया। इन घटनाओं से पंजाब को अभी भी उबरने में समय लग रहा है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार के परिणाम
ऑपरेशन ब्लू स्टार के निम्नलिखित परिणाम हुए:
- पंजाब में शांति और स्थिरता को बहाल करने में विफलता
- खालिस्तान की मांग को बढ़ावा
- सिख समुदाय के बीच भारी आक्रोश
- पंजाब में हिंसा और अस्थिरता में वृद्धि
खालिस्तान की मांग के कारण
खालिस्तान की मांग के निम्नलिखित कारण हैं:
- पंजाब की अलग पहचान और संस्कृति
- सिखों के बीच अलगाववादी विचारों का प्रसार
- पाकिस्तान का समर्थन