देहरादून। उत्तराखंड के पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने हाल ही में खान सर, जिनका असली नाम फैजल खान है, को प्रतिष्ठित स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार 2024 से सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें हमीरपुर जिले के बुंदेलखंड स्थित ब्रह्मानंद महाविद्यालय राठ में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया गया।
इस विशेष कार्यक्रम में पद्म श्री डॉ. बी. के. एस. संजय ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में सुश्री मेघा परमार, जो कि “ऐवरेस्ट गर्ल” के नाम से प्रसिद्ध हैं, उपस्थित रहीं। समारोह की शुरुआत स्वामी ब्रह्मानंद जी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दीप प्रज्वलन से की गई।
डॉ. संजय ने अपने संबोधन में कहा “परिवर्तन सार्वभौमिक सत्य है और अगर हम किसी के विचारों को बदलना चाहते हैं, तो हमें शिक्षा का सहारा लेना होगा। मनुस्मृति में कहा गया है, ‘जन्मना जायते शूद्र संस्कारात द्विज उच्चयते’, जिसका मतलब है कि हर कोई शूद्र के रूप में जन्म लेता है, लेकिन शिक्षा के माध्यम से एक प्रबुद्ध व्यक्ति बन सकता है। हमारे आज के कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत स्वामी ब्रह्मानंद जी ने यही सिद्धांत साबित किया।
डॉ. संजय ने आगे कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद जी ने बुंदेलखंड क्षेत्र में शिक्षा का महत्व समझाया और एक महत्वपूर्ण शिक्षा प्रसार मिशन चलाया। उन्होंने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया कि गरीबी तभी दूर होगी जब उनके बच्चे शिक्षित होंगे। स्वामी ब्रह्मानंद जी की शिक्षा के प्रचार-प्रसार की दिशा में किए गए प्रयास अतुलनीय हैं और उनकी सराहना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है।
विशिष्ट अतिथि सुश्री मेघा परमार ने कहा “लक्ष्य प्राप्ति तक हमें रुकना नहीं चाहिए। स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार विजेता खान सर ने अपने संबोधन में कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद का जन्म कोई सामान्य घटना नहीं थी, बल्कि एक अवतार था। शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसका बारूद कभी खत्म नहीं होता। स्वामी जी ने इतना बड़ा शिक्षा का मंदिर बनाया है, जिसे आगे बढ़ाना हमारी जिम्मेदारी है।”
स्वामी ब्रह्मानंद पुरस्कार 2024 का यह भव्य आयोजन ब्रह्मानंद महाविद्यालय के अखंड मंदिर हॉल में हुआ। इस मौके पर मनोहर सिंह, डॉ. सुरेंद्र सिंह, मुकेश राजपूत, हरचरन फौजी, नरेंद्र राजपूत, धर्मपाल सिंह, ऋषि राजपूत, देवेंद्र महान, और रामसजीवन यादव समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इस पुरस्कार समारोह ने न केवल स्वामी ब्रह्मानंद जी की शिक्षाविद दृष्टि और उनके योगदान को मान्यता दी, बल्कि शिक्षा के महत्व को भी एक बार फिर से उजागर किया।