नई दिल्ली: वैश्विक तेल बाजार में एक नया मोड़ आ सकता है, जहां पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति में बड़ा उछाल आने के संकेत मिल रहे हैं। बीते एक दशक में यह बदलाव पहली बार देखने को मिल रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान वैश्विक राजनीति और आर्थिक गतिविधियों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, जिनके असर से अब तेल उत्पादन और आपूर्ति में भी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। विशेष रूप से खाड़ी देशों और उन देशों में कच्चे तेल के नए भंडारों की खोज ने तेल उद्योग में हलचल मचा दी है। आइए जानते हैं कि पेट्रोल और डीजल की आपूर्ति में यह बड़ा उछाल क्यों हो रहा है और इससे वैश्विक बाजार पर क्या असर पड़ सकता है।
इराक की ऐतिहासिक योजना: 2029 तक बढ़ेगा उत्पादन
इराक ने हाल ही में ऐलान किया है कि वह 2029 तक अपने तेल उत्पादन को 6 मिलियन बैरल प्रति दिन (BPD) तक बढ़ाने की योजना बना रहा है। इराक का यह कदम वैश्विक तेल बाजार के लिए एक बड़ा संकेत है। इराक के तेल मंत्रालय के अनुसार, यह लक्ष्य तेल एक्सप्लोरेशन और ड्रिलिंग के जरिए पूरा किया जाएगा, जिसमें बीपी (BP) जैसे प्रमुख तेल कंपनियों के साथ सहयोग किया जाएगा। वर्तमान में इराक का तेल उत्पादन लगभग 4 मिलियन बैरल प्रति दिन है। इस उत्पादन में बढ़ोतरी से न केवल इराक के तेल उद्योग को बल मिलेगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति में भी वृद्धि होगी।
दुनिया में बढ़ेगी तेल की आपूर्ति
वैश्विक तेल आपूर्ति में इस साल एक दशक में सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। रेमंड जेम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष वैश्विक तेल आपूर्ति में प्रतिदिन 3 मिलियन बैरल का अनुमानित इजाफा हो सकता है। रिपोर्ट में कजाखस्तान और ब्राजील जैसे देशों में तेल के नए भंडारों की खोज का उल्लेख किया गया है। कैस्पियन सागर के कजाख सेगमेंट और ब्राजील के बाकलहाऊ क्षेत्र में तेल के विशाल भंडार मिलने से वैश्विक आपूर्ति में और भी इजाफा हो सकता है। इसके अलावा, सऊदी अरब जैसे देशों में भी उत्पादन विस्तार किया जा रहा है, जो वैश्विक तेल बाजार को और मजबूत करेगा।
अमेरिकी रणनीति: “ड्रिल बेबी ड्रिल”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दबाव भी वैश्विक तेल उत्पादन में बढ़ोतरी का कारण बन रहा है। ट्रंप ने अपने शपथ ग्रहण के दौरान ही तेल उत्पादन बढ़ाने का वादा किया था और “ड्रिल बेबी ड्रिल” अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत अमेरिका में तेल उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे वैश्विक आपूर्ति में भी इजाफा होगा। अमेरिकी सरकार ने कई रुके हुए प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने का भी निर्णय लिया है, जिससे अमेरिका में तेल उत्पादन और आपूर्ति में वृद्धि होगी।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट
इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में हाल के दिनों में गिरावट देखने को मिली है। खाड़ी देशों के क्रूड ऑयल ब्रेंड की कीमत 0.25 फीसदी गिरकर 72 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई है। वहीं, अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतें भी 0.25 फीसदी घटकर 68 डॉलर प्रति बैरल के आसपास बनी हुई हैं। कुछ विश्लेषकों के अनुसार, यदि कीमतों में गिरावट जारी रही तो यह वैश्विक तेल आपूर्ति के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, क्योंकि कम कीमतों के चलते उत्पादन बढ़ेगा और आपूर्ति में वृद्धि होगी।
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी
भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा उठा सकता है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है, और कच्चे तेल की कीमतों में कमी से भारत के आयात बिल में कमी आएगी। इससे भारत को डॉलर में कम खर्च करना पड़ेगा, जिससे भारतीय रुपया भी मजबूत होगा और देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी से महंगाई पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है, जो भारतीय उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात होगी।
2025 में वैश्विक तेल आपूर्ति में होने वाले इस बड़े उछाल के कारण पेट्रोल और डीजल की कीमतों में गिरावट आ सकती है, जो ऑयल आयातक देशों के लिए राहत का कारण बनेगा। इराक, कजाखस्तान, ब्राजील और अमेरिका जैसे देशों के उत्पादन में वृद्धि से तेल बाजार में स्थिरता आ सकती है। इसके साथ ही, ट्रंप प्रशासन द्वारा बढ़ाए गए तेल उत्पादन से भी वैश्विक आपूर्ति में मदद मिलेगी। भारतीय उपभोक्ताओं को इससे लाभ मिल सकता है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी और महंगाई में भी गिरावट आ सकती है।