नई दिल्ली: राज्यसभा के उपनेता और सांसद प्रमोद तिवारी ने मदर्स डे के अवसर पर स्वर्गीय इंदिरा गांधी को याद करते हुए 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनके दृढ़ निश्चय का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया मदर्स डे मना रही है, तब भारतवासियों को स्वर्गीय इंदिरा गांधी का 1971 का वह दौरा याद आ रहा है, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने बांग्लादेश में भारतीय सेनाओं को रोकने का प्रयास किया था।
तिवारी ने कहा कि इंदिरा गांधी ने निक्सन के निर्देश मानने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद अमेरिका ने अपना सातवां बेड़ा बंगाल की खाड़ी में उतार दिया। लेकिन इंदिरा गांधी अपने लक्ष्य पर अडिग रहीं और जब तक बांग्लादेश ने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण नहीं किया और बांग्लादेश का निर्माण नहीं हुआ, तब तक भारतीय सेना का पराक्रम जारी रहा।
उन्होंने वर्तमान भारत-पाक युद्धविराम पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब पहलगाम में 26 निर्दोष देशवासियों की हत्या से आहत पूरा भारत एकजुट था, तब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दुनिया को युद्धविराम का संदेश दिया। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या यह सूचना थी या अमेरिका का आदेश? हर भारतवासी युद्धविराम की घोषणा नई दिल्ली से होने की अपेक्षा कर रहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रमोद तिवारी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग दोहराते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए और पहलगाम ऑपरेशन सिंदूर और भारत-पाक युद्धविराम पर संसद का विशेष सत्र आयोजित किया जाना चाहिए, ताकि इन सभी मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सके।
उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा भारत-पाक संवाद के लिए तटस्थ मंच के उल्लेख पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या भारत ने शिमला समझौते को त्याग दिया है और क्या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं? कांग्रेस का दृढ़ मत है कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) भारत का अभिन्न अंग है।
तिवारी ने मोदी सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि क्या भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक चैनल दोबारा खोले जा रहे हैं? उन्होंने पूछा कि भारत ने पाकिस्तान से कौन सी प्रतिबद्धताएं मांगी हैं और बदले में क्या मिला है? उन्होंने दो पूर्व सेनाध्यक्षों की टिप्पणियों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को स्वयं इन टिप्पणियों का जवाब देना चाहिए।
