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कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ दरिदंगी: महिला डॉक्टर से रेप-मर्डर में संजय रॉय दोषी करार, आरोपी दोषी करार

Dharmender Singh Malik
5 Min Read

कोलकाता: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई जघन्य दरिंदगी के मामले में सियालदह कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है। यह मामला 8-9 अगस्त 2024 की रात का है, जब आरोपी ने महिला डॉक्टर के साथ रेप कर उसकी निर्मम हत्या कर दी थी। कोर्ट ने फिलहाल आरोपी को दोषी ठहराया है, और सजा सोमवार को सुनाई जाएगी।

मामला: महिला डॉक्टर की हत्या और रेप

2024 के अगस्त महीने में हुए इस दिल दहला देने वाले मामले में आरोपी संजय रॉय ने महिला डॉक्टर के साथ न केवल दुष्कर्म किया, बल्कि बाद में उसकी हत्या भी कर दी थी। घटना को लेकर समाज में भारी रोष था और इसे लेकर लोगों में गुस्सा था। इस मामले में न्याय की उम्मीदों को बल मिला है, जब सियालदह कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया।

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सीबीआई ने की जांच, 120 से अधिक गवाहों के बयान

यह मामला पहले कोलकाता पुलिस द्वारा जांचा जा रहा था, लेकिन उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद इसे सीबीआई को सौंप दिया गया। 13 अगस्त 2024 को सीबीआई ने मामले की जांच अपने हाथ में ली और जांच शुरू की। जांच के दौरान सीबीआई ने 120 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए और करीब दो महीने तक कैमरा ट्रायल चलाया।

सीबीआई के वकील ने आरोपी संजय रॉय को दोषी साबित करने के लिए जैविक साक्ष्य (डीएनए नमूने, विसरा) और एलवीए (लाइफ एंड वेक्टर एनालिसिस) को पेश किया। हालांकि, आरोपी संजय रॉय ने कोर्ट में खुद को दोषी मानने से इनकार कर दिया और चिल्लाकर कहा कि वह निर्दोष है।

पीड़िता का संघर्ष और गवाहियां

सीबीआई ने अपनी जांच में दावा किया कि पीड़िता ने अपनी जान बचाने के लिए संजय रॉय के खिलाफ काफी संघर्ष किया था। पीड़िता के शरीर पर पाँच घाव पाए गए थे, जिनका मेल आरोपी के शरीर से हुआ था। जांच में यह भी सामने आया कि पीड़िता के शरीर पर लार के स्वाब और डीएनए नमूने संजय रॉय से मेल खाते हैं। सीबीआई ने इस अपराध को ‘अमानवीयता की सीमा पार करना’ बताया है।

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विशेष मेडिकल रिपोर्ट और पीड़िता की हालत

जांच के दौरान एक बहु-संस्थागत मेडिकल बोर्ड द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि पीड़िता की मौत गला घोंटने के कारण हुई थी। पीड़िता ने जब खुद को बचाने की कोशिश की थी तो उसका चश्मा टूट गया था। मेडिकल रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि पीड़िता के आंखों, मुंह और गुप्तांगों से खून बह रहा था। उसकी गर्दन और होठों पर गंभीर चोटों के निशान थे, जो पीड़िता की संघर्ष की कहानी बयान करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान और डॉक्टरों की सुरक्षा

इस जघन्य अपराध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और देशभर के डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। कोर्ट ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रीय टास्कफोर्स का गठन किया, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोका जा सके। यह कदम डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण था और इससे यह संदेश गया कि डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को सहन नहीं किया जाएगा।

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कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में न्याय का मिलना उन पीड़ितों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो न्याय की बाट जोह रहे हैं। कोर्ट का फैसला यह साबित करता है कि अगर कानून सही दिशा में कार्य करता है तो अपराधियों को सजा मिलती है और पीड़ितों को न्याय मिलता है।

कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिदंगी के मामले में सियालदह कोर्ट का यह फैसला एक ऐतिहासिक कदम है। पीड़िता को न्याय मिलने से न केवल उसके परिवार को सुकून मिला है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक सख्त संदेश भी है। आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिए जाने के बाद अब यह उम्मीद की जा रही है कि सजा के बाद समाज में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के प्रति जागरूकता और सख्ती बढ़ेगी।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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