नई दिल्ली: हाल के दिनों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति शशि थरूर के रुख में आए बदलाव पर राजनीतिक गलियारों में चल रही चर्चाओं के बीच, मोदी सरकार ने उन्हें एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। यह जिम्मेदारी भले ही राजनीतिक न हो, लेकिन राष्ट्रहित से जुड़ी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को जागरूक करने के लिए भारतीय सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भेजने का फैसला किया है, और इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर को भी शामिल किया गया है।
“ऑपरेशन सिंदूर” पर मजबूत पक्ष: सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन
सूत्रों के अनुसार, सरकार ने “ऑपरेशन सिंदूर” (यह एक प्रतीकात्मक नाम है, जो संभवतः कश्मीर या आतंकवाद विरोधी किसी विशेष अभियान का जिक्र कर रहा है) पर भारत के पक्ष को मजबूती से दुनिया के सामने रखने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का निर्णय लिया है। इस प्रतिनिधिमंडल में सत्ता पक्ष और विपक्ष के कई तेज-तर्रार सांसदों को शामिल किया जाएगा। कांग्रेस ने इस पहल में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दी है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर राजनीतिक एकजुटता का एक मजबूत संदेश है।
कौन-कौन शामिल होंगे?
विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, इस प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद शामिल होंगे। इनमें भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), द्रमुक (DMK), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) (NCP-SP), जनता दल (यूनाइटेड) (JDU), बीजू जनता दल (BJD), माकपा (CPI-M) और कुछ अन्य दलों के सांसद शामिल होंगे। यह विविधता भारत की लोकतांत्रिक भावना और आतंकवाद के खिलाफ उसकी दृढ़ता को दर्शाएगी।
शशि थरूर का महत्व: बौद्धिक कौशल और वैश्विक पहुंच
शशि थरूर को इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल करना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। उनकी बौद्धिक क्षमता, अंग्रेजी भाषा पर पकड़ और वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखने का उनका अनुभव इस पहल के लिए बेहद मूल्यवान साबित होगा। थरूर, जो अक्सर अपनी मुखर राय और प्रभावशाली वक्तृत्व शैली के लिए जाने जाते हैं, आतंकवाद के जटिल मुद्दे पर भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में सक्षम होंगे। उनके शामिल होने से यह भी संकेत मिलता है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भारत किसी भी दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करने को तैयार है।
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत की भूमिका
यह पहल ऐसे समय में सामने आई है जब भारत लगातार वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुद्दा उठाता रहा है। यह प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में जाकर स्थानीय सांसदों, थिंक टैंक और मीडिया से बातचीत करेगा, ताकि पाकिस्तान की दोहरी नीति और आतंकवाद को उसके समर्थन का पर्दाफाश किया जा सके। यह भारतीय कूटनीति का एक सक्रिय और आक्रामक कदम है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत और एकजुट रुख अपनाने के लिए प्रेरित करना है।
शशि थरूर को मिली यह नई जिम्मेदारी भले ही राजनीतिक न हो, लेकिन यह दर्शाती है कि राष्ट्रीय हितों के मामले में दलगत राजनीति को परे रखा जा सकता है। यह कदम न केवल पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ाएगा, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी दुनिया के सामने मजबूती से पेश करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेशों में भारत के पक्ष को कितनी प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर पाता है।