चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण, गगनयान-1 के लिए मील का पत्थर साबित होता

Dharmender Singh Malik
4 Min Read

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण किया। इस सफल प्रक्षेपण को गगनयान-1 के लिए एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। इसके पीछे वजह है, वह रॉकेट जिससे चंद्रयान-3 को लांच किया हैं। चंद्रयान-3 मिशन में एलवीएम3-एम4 रॉकेट का इस्तेमाल हुआ। यह रॉकेट अपनी श्रेणी में सबसे बड़ा और भारी है। इसकारण वैज्ञानिक इस रॉकेट को फैट बॉय या ‘बाहुबली’ भी कहते हैं।

भारत के पहले मानव मिशन के लिए उसी रॉकेट का एक संशोधित संस्करण एलवीएम-3 का यूज होगा। एलवीएम-3 के परियोजना निदेशक और प्रक्षेपण के मिशन निदेशक एस मोहन कुमार ने कहा, एलवीएम-3 ने चंद्रयान-3 को सटीक कक्षा में स्थापित कर दिया है। इससे एक बार फिर यह साबित हो गया है कि यह इसरो का सबसे विश्वसनीय भारी-लिफ्ट वाहन है। उन्होंने कहा कि रॉकेट में कई प्रणालियों का उपयोग किया गया है जिन्हें मानव-रेटेड किया जा रहा है। इसका मतलब है कि इस मानवों को ले जाने की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विश्वसनीयता बढ़ाने के रूप में देखा जा रहा है।

See also  RBI Notebandi : 2000 के बाद अब 500 के नोट की बारी, जानिए पूरी Detail !

चंद्रयान-3 के मिशन निदेशक कुमार ने कहा कि इसमें निरंतर सुधार किया जा रहा है। इसका उपयोग भारत के गगनयान मिशन के लिए होगा। इसमें देश के अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाना है। उन्होंने कहा कि लांच के लिए, हमने मानव-रेटेड ठोस स्ट्रैप-ऑन मोटर्स का यूज किया। एल 110 विकास इंजन भी मानव-रेटेड है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि यह सभी रॉकेटों को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाने का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि सभी मानव-रेटेड एलिमेंट अब गैर-मानव-रेटेड एलवीएम-3 मिशनों पर भी उड़ान भरना शुरू कर देंगे। इससे पहले उन्होंने बताया था कि पिछले मिशन में मानव-रेटेड एस 200 थे। इसरो चेयरमैन ने कहा कि गगनयान प्रक्षेपण यान की रेटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रोपल्शन मॉड्यूल -ठोस, तरल और क्रायोजेनिक- का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। रॉकेट के शेष तत्वों को इस हद तक पुन: सत्यापित और योग्य बनाया गया है कि हम उन्हें मानव-रेटेड कह सकते हैं।

See also  योगी या अमित शाह?, क्या मोदी 75 के बाद रिटायर होंगे या 2029 के चुनावों के बाद ?

एलवीएम-3 को तैयार करने वाले विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने कहा कि टीमों ने सभी लक्ष्य पूरे कर लिए हैं। उन्होंने कहा कि हम आज जैसे मिशनों में जब भी संभव हो कुछ मानव-रेटेड सिस्टम लागू कर रहे हैं। क्वाड-इलेक्ट्रॉनिक्स (इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम जिसमें चार गुना अतिरेक होगा) को छोड़कर, जिसका परीक्षण केवल पहले क्रूलेस मिशन (अगले वर्ष नियोजित) पर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी मानव-रेटेड सिस्टम का परीक्षण किया गया है। सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया जा रहा है।

इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता मानव को अंतरिक्ष में भेजने की भारत की योजना को बढ़ावा देगी। मानव की अंतरिक्ष उड़ान के लिए ‘गगनयान’ अभियान के अच्छी तरह प्रगति करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम लगातार प्रगति कर रहे हैं।

See also  Lok Sabha Election 2024 Voting : लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान आज, 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर होगी वोटिंग
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement