नई दिल्ली: ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म की रिलीज़ पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रोक बरकरार रखी है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को फिल्म पर जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया है और कहा कि वह सरकार के निर्णय का इंतजार करेगी। इस मामले में अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
कपिल सिब्बल ने जताई गहरी चिंता, बताया ‘नफरत फैलाने वाली’
फिल्म देखने के बाद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “जब हाईकोर्ट ने हमसे पूछा, तो मैंने खुद फिल्म देखी। मैं पूरी तरह से हिल गया था। अगर कोई जज इसे देखे, तो उसे पता चलेगा कि यह पूरी तरह से समुदाय के खिलाफ नफरत का विषय है… यह हिंसा को जन्म देता है।”
सिब्बल ने फिल्म के कंटेंट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, “यह एक समुदाय का अपमान है। समुदाय का एक भी सकारात्मक पहलू नहीं दिखाया गया है। समलैंगिकता, न्यायिक मामले, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार— एक लोकतांत्रिक देश ऐसी फिल्म को प्रमाणित कर रहा है। अकल्पनीय, मुझे नहीं लगता कि किसी भी देश में इस तरह के एजेंडा आधारित फिल्म को अनुमति मिलनी चाहिए।”
केंद्र सरकार की कमेटी लेगी अंतिम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने आज हुई सुनवाई में ‘उदयपुर फाइल्स’ फिल्म की रिलीज़ पर लगी रोक नहीं हटाई है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केंद्र सरकार के निर्णय का इंतजार करना ही उचित होगा और अनुरोध किया कि केंद्र सरकार की कमेटी जल्द से जल्द इस पर फैसला ले।
याचिकाकर्ता की मांग और कन्हैया लाल के बेटे को धमकी
यह याचिका कन्हैया लाल हत्याकांड में 8वें आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से दायर की गई है। जावेद ने दलील दी है कि जब तक मुकदमे की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, तब तक फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई जाए। यह फिल्म 2022 में हुए कन्हैया लाल साहू हत्याकांड पर आधारित है।
इस मामले में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने भी याचिका दायर की थी। मदनी ने अपनी याचिका में कहा है कि सेंसर बोर्ड द्वारा 55 सीन हटाने के बावजूद फिल्म का स्वरूप वही बना हुआ है और इसकी प्रचार गतिविधियों से देश में हिंसा फैल सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी दर्ज किया है कि मृतक कन्हैया लाल के बेटे को जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। कोर्ट ने संबंधित एसपी और आयुक्त को इसका आकलन करने और आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।